लखनऊ से दुबई भेजी गई सब्जियों की पहली खेप

लखनऊ से दुबई भेजी गई सब्जियों की पहली खेप

उत्तर प्रदेश में कृषि उपज का निर्यात बढ़ाने के उपायों को गति मिलना शुरु हो गयी है. इसके परिणामस्वरूप यूपी में उपजाई गयी सब्जियों की पहली खेप मंगलवार को लखनऊ से दुबई भेजी गयी.

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लखनऊ से दुबई भेजी गई सब्जियों की पहली खेपलखनऊ से दुबई भेजी गई सब्जियों की पहली खेप (सांकेतिक तस्वीर, साभार: freepik)

उत्तर प्रदेश में कृषि उपज का निर्यात बढ़ाने के उपायों को गति मिलना शुरु हो गयी है. इसके परिणामस्वरूप यूपी में उपजाई गयी सब्जियों की पहली खेप मंगलवार को लखनऊ से दुबई भेजी गयी. प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस सीजन में पहली बार लखनऊ से दुबई के लिए सब्जियों का खेप एयर इंडिया की फ्लाइट से भेजी गयी. इसमें 3 टन भिंडी, 1 टन गाजर, 800 किलो मटर शामिल हैं. जल्द ही गाजर, मटर, मिर्च का निर्यात अरब देशों सहित यूरोपीय देशों में भी किया जायेगा. यह भी सुनिश्चित किया गया है कि लखनऊ से हर हफ्ते कृषि उपज की कम से कम चार खेप भेजी जायें. उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह 10 टन सब्जियों का अरब देशों को निर्यात किया जाएगा.

यूपी से अब तक का निर्यात 

शाही ने कहा कि प्रदेश के किसानों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को देश के अन्य राज्यों तथा विदेशों में बेचकर अच्छा मूल्य दिलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि किसानों को निर्यात योग्य कृषि उपज के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिये चार पैक हाउस लखनऊ, सीतापुर, अमरोहा और वाराणसी में तैयार किये जा रहे हैं. शाही ने कहा कि साल 2021-23 में 01 लाख 59 हजार 344 मीट्रिक टन कृषि उपज का निर्यात किया गया. इसका मूल्य लगभग 161 करोड़ रुपये है. चालू वित्त वर्ष में अभी तक 99 हजार 528 मीट्रिक टन कृषि उपज का निर्यात किया जा चुका है. इसका मूल्य लगभग 112 करोड़ रुपये है.

उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि उपज के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि विभाग तथा मंडी परिषद ने व्यापक योजना बनायी गयी है. शाही ने कहा कि प्रदेश के किसान अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप फल और सब्जियों का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन कर रहे हैं. इससे शीघ्र ही प्रदेश से फल और सब्जियों निर्यात की मात्रा बढ़ेगी। शाही ने कहा कि भविष्य में वाराणसी से भी यूरोप के लिए सब्जियों का निर्यात किये जाने की तैयारी है. इसके लिए वाराणसी में गुणवत्ता प्रयोगशाला शीघ्र शुरू हो जायेगी. 

किसानों से अपील

उन्होंने बताया कि तापमान में गिरावट एवं आपेक्षिक आद्रता में वृद्धि के कारण आलू की फसल में अगेती तथा पछेती झुलसा एवं राई-सरसों में माहू के प्रकोप की सम्भावना बढ़ गयी है. उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि फसलों की नियमित निगरानी के साथ कृषकों को रोगों एवं कीटों के प्रकोप और उनके नियंत्रण के सम्बन्ध में जागरुक करने के साथ-साथ जनपद एवं मण्डल में कृषि रक्षा रसायनों की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायें.

उन्होंने किसानों से अपील की है कि बदलीयुक्त मौसम, 10 से 20 डिग्री से. तापमान एवं 80 प्रतिशत से अधिक अपेक्षिक आद्रता की दशा में आलू के अगेती व पछेती झुलसा रोग की सम्भावना बढ़ जाती है. इसके नियंत्रण हेतु मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी 2 किग्रा अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लूपी की 2.5 किग्रा की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 से 750 लीटर पानी में घोलकर सुरक्षात्मक छिडकाव करें.

इसके साथ ही राई-सरसों की खेती करने वाले किसानों से शाही ने अपील की है कि माहू कीट से फसलों को बचाने के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर मात्रा को 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करें. इसके नियंत्रण हेतु कीट की सघनता के अनुसार 10 से 15 ऐलो स्टिकी ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है. रासायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी की 1.0 लीटर मात्रा को 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. इसके अतिरिक्त कम तापमान के कारण फसलों में पाले की सम्भावना रहती है. इसके बचाव हेतु खेत में नमी बनाये रखने के लिये हल्की सिंचाई करें.

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