यूपी के संभल में इस्लामनगर इलाके में गुरुवार को एक कोल्ड स्टोर की इमारत भरभरा कर ढह गई. इस हादसे ने राज्य में कोल्ड स्टोरेज संचालन से जुड़े सुरक्षा मानकों के पालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों से यह बात स्पष्ट होती है कि राज्य में कृषि उपज को कोल्ड स्टोरेज में रखने की क्षमता कम है. इसके बावजूद भंडारण क्षमता के सापेक्ष कोल्ड स्टोरेज में ज्यादा माल रखना पड़ रहा है. वहीं यूपी में आलू की सर्वाधिक उपज वाले 17 जिलाें में उपज के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज की एक पूरी श्रंखला है. किसानों की आलू की उपज का उचित भंडारण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की है. यूपी में इस साल आलू की उपज उम्मीद से ज्यादा हुई है. ऐसे में किसानों के सामने अपनी उपज का भंडारण करने की समस्या उभर कर सामने आई है.
इससे निपटने के लिए उद्यान विभाग ने आलू क्लस्टर जिलों में कोल्ड स्टोरेज मालिकों को हर हाल में किसानों का आलू रखने के लिए आदेश जारी किए थे. ऐसे में यूपी के कोल्ड स्टोरेज की भंडारण क्षमता एवं मौजूदा उत्पादन के आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य के कोल्ड स्टोर आलू के भंडारण से ओवरलोड होने की चुनौती का सामना कर रहे हैं.
हाल ही में आलू किसानों की उपज के भंडारण का संकट उभरने पर यूपी के उद्योग मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बीते दिनों बताया था कि आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश, देश में पहले स्थान पर है. देश में कुल उत्पादन का लगभग 35 प्रतिशत आलू, अकेले यूपी में होता है.
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बीते कुछ सालों के दौरान यूपी में आलू की फसल का क्षेत्रफल एवं उत्पादन बढ़कर इस साल लगभग 6.94 लाख हेक्टेयर हो गया. इसके सापेक्ष लगभग 242.93 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ है. इसके भंडारण के लिए यूपी में कुल 1971 कोल्ड स्टोर हैं. इनकी भंडारण क्षमता 162.62 लाख मीट्रिक टन है. स्पष्ट है कि भंडारण क्षमता के मुताबिक आलू काे कोल्ड स्टोरेज में रखने के बाद भी लगभग 80 लाख मीट्रिक टन आलू बचा रहेगा. इस आलू को बाजार में खपाना ही एकमात्र विकल्प है. बाजार में आलू का भाव कम होने के कारण किसानों के सामने कोल्ड स्टोरेज में उपज रखना, एक सुरक्षित विकल्प है. स्पष्ट है कि कोल्ड स्टोरेज पर भंडारण का दबाव जरूरत से ज्यादा है.
सरकार के अपने ही आंकड़ों से स्पष्ट है कि यूपी में उपज की तुलना में भंडारण क्षमता को अगर देखा जाए तो लगभग 80 लाख मीट्रिक टन आलू, भंडारण के दायरे से बाहर है. सिंह ने भंडारण की समस्या नहीं होने का दावा करते हुए दलील दी थी कि अभी तक प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में मात्र 88.14 लाख मीट्रिक टन आलू भंडारित हुआ है. इसके सापेक्ष अभी 74.48 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है. यह कुल भंडारण क्षमता का 45.80 प्रतिशत है. उनका दावा है कि कुल उपज का बड़ा हिस्सा खुले बाजार में बेच दिया जाता है. ऐसे में मौजूदा भंडारण क्षमता को उन्होंने पर्याप्त बताया है. लेकिन इस तथ्य को नजरंदाज कर दिया गया कि बाजार में उपज की कीमत, किसान के लिए संतोषप्रद नहीं होने के कारण आलू को बेचने के बजाए, किसान भंडारण करने का पक्षधर है.
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सरकार ने इस सप्ताह बाजार हस्तक्षेप योजना लागू कर किसानों से हाफेड के माध्यम से 650 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर आलू खरीदने के लिए 17 जिलों में चरणबद्ध तरीके से खरीद केंद्र खोलने की पहल की है. पिछले सोमवार से इन खरीद केंद्रों पर आलू की सरकारी खरीद प्रारंभ हाे गई, लेकिन प्राप्त जानकारी के मुताबिक आलू की सरकारी खरीद की कीमत कम होने के कारण किसान अपना आलू सरकार को बेचने के बजाए कोल्ड स्टोरेज में रखने के इच्छुक हैं. जिससे कुछ समय बाद बाजार में सही दाम मिलने पर किसान अपनी उपज को बेच सकें.
इसे देखते हुए उद्यान विभाग ने कोल्ड स्टोरेज मालिकाें पर किसानों की उपज काे रखने से मना नहीं करने का दबाव बढ़ा दिया. माना जा रहा है कि विभाग द्वारा कोल्ड स्टोरेज में उपज रखने की बात सुनिश्चित करने के लिए की जा रही कार्रवाई ने कोल्ड स्टोरेज मालिकों पर दबाव बढ़ा दिया.
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