दिल्ली में हुए किसान आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था. एक फिर यह मामला सुर्खियों में है क्योंकि दिल्ली पुलिस की स्पेशल की तरफ से किए गए एफआईर पर आंदोलन के दौरान किसानों और किसान मोर्चा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हालांकि इन आरोपों को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपमानजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. दरअसल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मीडिया हाउस न्यूज क्लिक और कई पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज किया है. इस एफआईर में किसान आंदोलन के दौरान अगुवाई कर रहे किसान नेताओं पर भी गंभीर आरोप साथ ही कहा कि इस आंदोलन के लिए विदेशी फंडिंग मिली थी. इन आरोपों को खारिज करते हुए एसकेएम ने प्रेस रिलीज जारी किया और कहा कि सभी आरोप झूठ से प्रेरित है.
एसकेएम ने कहा कि बीजेपी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसानों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लिया था. किसानों ने इस दौरान किसी की संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया. किसानों के कारण कभी भी कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई, पर एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि किसान आंदोलन के संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था और आवश्यक सेवाओं को बाधित किया था, साथ की इस आंदोलन के लिए विदेशी फंडिग भी मिली थी. इन आरोपों को खारिज करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा बल किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए बल का प्रयोग किया गया. जिससे किसानों को असुविधा हुई. किसानों ने 13 महीनें तक विरोध किया इस दौरान एक किसान और पत्रकार की मौत भी हुई.
यह भी पढ़ेंः Israel War 2023: युद्ध से घिरा है जो इजरायल वहीं से खेती सीखकर आया था ये किसान, ऐसे दोगुनी की आमदनी, पढ़ें पूरी कहानी
एसकेएम ने कहा कि किसानों का आंदोलन भारतीय खेतों को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने के खिलाफ था. प्रेस रिलीज में कहा गया है कि तीन काले कृषि कानूनों के जरिए केंद्र का प्रयास कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से फसल पैटर्न, मंडियों, खाद्य प्रसंस्करण और मंडी अधिनियम के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य वितरण पर कॉर्पोरेट्स का कानूनी नियंत्रण स्थापित करने का था. एसकेएम ने कहा कि एफआईआर में आंदोलन को विदेशी फंडिंग मिलने की बात करना आंदोलन को बदनाम करने की एक साजिश है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है इसलिए किसान आंदोलन के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून को वापस लेने के अपमान से केंद्र सरकार अभी भी डर रही है और इसी का बदला लेने के लिए किसान विरोध कहानी गढ़ने की लागातार कोशिश की जा रही है. न्यूज क्लिक का जिक्र करते हुए एसकेएम ने कहा कि यह एक ऐसा संस्थान है जो जनविरोधी बीजेपी के बारे में सच्चाई लिखने का साहस रखता है साथ ही इसने सरकार के नापाक कोशिशों की निंदा भी. यही कारण है कि केंद्र ने अपनी सत्ता और मशीनरी का दुरुपयोग करके न्यूजक्लिक के आवाज को दबाने की कोशिश की और गिरफ्तारियां कराई.
यह भी पढ़ेंः झारखंड में सूखे से किसानों को राहत दिलाने की पहल, मुफ्त में रबी फसल के बीज बाटेगी सरकार
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि न्यूजक्लिक पर एफआईआर के जरिए किसान आंदोलन पर हमले की जो कोशिश की जा रही है उसके खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी किया जाएगा. प्रत्येक राज्य की राजधानी, जिला मुख्यालय, तहसील मुख्यालय में न्यूज़क्लिक पर किए गए एफआईआर में किसान आंदोलन के खिलाफ लगाए गए झूठे और अपमानजनक आरोपों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध सभाएं आयोजित की जाएंगी. सा ही किसान मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल एफआईआर पर लगाए गए आरोपों को वापस लेने की मांग को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today