उत्तर प्रदेश में ज्यादातर किसान अब ग्राफ्टिंग तकनीक से सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिससे बरसात के मौसम में भी उनकी फसल सुरक्षित रहती है. इस पहल से हज़ारों किसानों को फायदा हो रहा है. वहीं भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) वाराणसी के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार ग्राफ्टिंग तकनीक के 'ब्रिमैटो' पौधों की डिमांड अब तेजी से बढ़ने लगी है. इसी क्रम में गोरखपुर जिले के ग्राम कुशम्ही निवासी प्रगतिशील किसान संजय कुमार सिंह को ग्राफ्टिंग तकनीक पर आधारित 1,000 ग्राफ्टेड ब्रिमैटो के पौधों सौंपा गया है.
किसान संजय सिंह ने बताया कि पहले भारी बारिश में टमाटर के पौधे खराब हो जाते थे, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था. लेकिन अब ग्राफ्टिंग तकनीक ने उनकी मुश्किलें आसान हो गई हैं. उन्होंने बताया कि ग्राफ्टेड पौधे की कीमत सामान्य पौधे से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन उत्पादन और पौधों के बचने की दर अधिक होने के कारण यह तकनीक बेहद फायदेमंद साबित हो रही है.
यह वितरण उत्तर प्रदेश कृषि शोध परिषद (UPCAR), लखनऊ की परियोजना के अंतर्गत किया गया, जिसका उद्देश्य सब्जी उत्पादन में नवीन तकनीकों को बढ़ावा देना और किसानों की आय में वृद्धि करना है. संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक को भारतीय कृषि में अपनाने के लिए विभिन्न शोध व प्रयोग किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक न केवल सब्जी फसलों की गुणवत्ता एवं उत्पादन क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि यह मृदा जनित बीमारियों से भी प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे किसानों को कीटनाशकों पर होने वाले खर्च में भी कमी आती है.
डॉ. राजेश ने आगे बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से सब्जी उत्पादन में उद्यमिता के नए द्वार खुल सकते हैं. यह तकनीक विशेष रूप से टमाटर, बैंगन व अन्य सोलानेसी कुल की फसलों में उपयोगी सिद्ध हो रही है. उन्होंने किसानों से अपील किया कि वे इस तकनीक को बड़े स्तर पर अपनाएं और इसे गांव-गांव तक पहुंचाकर कृषि आधारित आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएं. आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ग्राफ्टिंग से तैयार पौधे की क्वालिटी काफी बेहतरीन होती है. इसमें फल-फूल अधिक आते हैं. इसका साइज भी काफी बड़ा हो जाता है.
बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने टमाटर और बैंगन के संकर से एक नई प्रजाति विकसित की है. इस नई प्रजाति को ब्रिमैटो कहा जा रहा है जो बैंगन और टमाटर का मिश्रण है. इस खास प्रजाति के पौधे में ही एक ही झाड़ पर बैंगन और टमाटर दोनों लगते हैं.
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