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Paddy Procurement: क्यों धीमी पड़ी एमएसपी पर धान खरीद की रफ्तार, एसकेएम ने बताई चौंकाने वाली वजह

Paddy Procurement: क्यों धीमी पड़ी एमएसपी पर धान खरीद की रफ्तार, एसकेएम ने बताई चौंकाने वाली वजह

एसकेएम ने बताया क‍ि केंद्रीय बजट 2022-23 में खाद्य सब्सिडी 2,72,802 करोड़ रुपये की थी. जबक‍ि 2024-25 के बजट में सब्सिडी का अनुमान 2,05,250 करोड़ रुपये ही रह गया है. कटौती की वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के ल‍िए गेहूं और चावल का पहले ज‍ितना उठान नहीं हुआ, ज‍िसकी वजह से अब खरीद प्रभाव‍ित हो रही है.  

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धान खरीद पर पड़ा है खाद्य सब्स‍िडी में कटौती का असर? धान खरीद पर पड़ा है खाद्य सब्स‍िडी में कटौती का असर?

देश में इस साल धान की सरकारी खरीद काफी धीमी है. भारतीय खाद्य न‍िगम (एफसीआई) के अनुसार 22 अक्टूबर 2024 तक देश में मुश्क‍िल से 45 लाख मीट्र‍िक टन धान की खरीद ही हो पाई है. जबक‍ि प‍िछले साल की इसी अवध‍ि के दौरान स‍िर्फ हर‍ियाणा और पंजाब में ही करीब 80 लाख मीट्र‍िक टन धान खरीदा जा चुका है. लेक‍िन सवाल यह है क‍ि इस बार धान की सरकारी खरीद इतनी सुस्त क्यों है क‍ि क‍िसानों को सरकार के ख‍िलाफ गुस्सा जाह‍िर करने के ल‍िए मजबूर होना पड़ रहा है? संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आरोप लगाया है क‍ि प‍िछले सीजन के दौरान एमएसपी पर खरीदे गए धान को गोदामों और चावल को मिलों से उठाने में एफसीआई नाकाम रहा है. ज‍िसके चलते इस साल पंजाब और हरियाणा में धान खरीद का संकट पैदा हो गया है. धान बेचने के ल‍िए क‍िसानों को पापड़ बेचने पड़ रहे हैं. जब गोदाम खाली होगा तभी तो नई खरीद हो पाएगी? 

एसकेएम पंजाब और हरियाणा में धान खरीद में आई कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. ये दोनों सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के ल‍िए सबसे अध‍िक खरीद करने वाले सूबों में शाम‍िल हैं. संगठन ने कहा क‍ि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 और 2023-24 में खाद्य सब्सिडी में कटौती कर दी है. कटौती को 2024-25 में भी जारी रखा गया है, जिससे खाद्य सब्सिडी में 67,552 करोड़ रुपये की कमी हो गई है. इससे गोदामों से अनाजों का उठान प्रभाव‍ित हुआ है, जो खरीद में बाधा पैदा कर रहा है. सरकारी खरीद में कमी की वजह से व्यापारी औने-पौधे दाम पर धान खरीद रहे हैं. यहां तक क‍ि बासमती धान का दाम भी प‍िछले साल के मुकाबले एक हजार रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक कम है. 

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खाद्य सब्स‍िडी में कटौती का असर? 

एसकेएम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा है क‍ि वो लोगों को यह बताएं कि उन्होंने गरीब लोगों की खाद्य सब्सिडी में कटौती करने की इतनी कठोर नीति क्यों अपनाई? यही नहीं केंद्र सरकार ने केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) को खत्म कर दिया है, जिसके कारण सार्वजनिक क्षेत्र में भंडारण सुविधाओं में बड़े पैमाने पर कमी आई है. एफसीआई ने भी अपनी भंडारण सुविधाओं को कई न‍िजी कंपनियों को किराए पर दे दिया है. ज‍िससे द‍िक्कत पैदा हो रही है. जबक‍ि केंद्र ने 2024-25 के लिए 485 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा है. इस साल सरकार ने सामान्य धान का एमएसपी 2300 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय क‍िया है. 

सब्स‍िडी में क‍ितनी हुई कटौती 

एसकेएम ने बताया क‍ि केंद्रीय बजट 2022-23 (वास्तविक) में खाद्य सब्सिडी 2,72,802 करोड़ रुपये की थी. बजट 2023-24 (संशोधित) में केवल 2,12,332 करोड़ रुपये खर्च किए गए, यानी 60,470 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई. जबक‍ि 2024-25 के बजट में सब्सिडी का अनुमान 2,05,250 करोड़ रुपये ही रह गया है, यानी 7082 करोड़ रुपये कम हो गए. कटौती की वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में गेहूं और चावल का पहले ज‍ितना उठान नहीं हुआ, ज‍िसकी वजह से अब खरीद प्रभाव‍ित हो रही है और क‍िसानों को उसका खाम‍ियाजा भुगतना पड़ रहा है. 

अनाज के बदले पैसा ट्रांसफर 

संगठन ने कहा क‍ि कई राज्यों ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के नियमों में बदलाव करके पीडीएस को डायरेक्ट बेन‍िफ‍िट ट्रांसफर (DBT) की योजना से जोड़ रहे हैं, जिसके तहत सुनियोजित रूप से लाभार्थियों को अनाज देने की बजाय उनके बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर क‍िया जा रहा है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने 32 लाख राशन कार्डधार‍ियों को डीबीटी के जर‍िए लाभ देना शुरू कर द‍िया है. इसकी वजह से उन्होंने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से चावल और गेहूं उठाना बंद कर दिया है. कर्नाटक में, गंभीर सूखे के बावजूद, केंद्र सरकार ने चावल उपलब्ध नहीं कराया, जबकि राज्य सरकार ने खाद्यान्न की मांग की थी. 

हर‍ियाणा-पंजाब की आलोचना 

मोर्चा ने पंजाब की भगवंत मान सरकार और हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार की भूमिका की भी कड़ी आलोचना की है. आरोप लगाया है क‍ि ये दोनों सरकारें गोदामों और चावल मिलों से धान का स्टॉक समय पर उठाने के ल‍िए केंद्र पर दबाव बनाने में विफल रही हैं. ज‍िससे एमएसपी पर धान खरीद की प्रक्रिया बाध‍ित हो रही है. खरीद प्रणाली पटरी से उतरी तो किसानों में अशांति पैदा होगी. हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दो दिनों के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार खरीद में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है. देश में सबसे ज्यादा धान की खरीद पंजाब से ही होती है. 

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