इन दिनों दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन तेजी से देखा जा रहा है. जलवायु परिवर्तन का असर हमारे देश में भी दिखा और समय से पहले ही ठंड कम होने लगी है. आमतौर पर फरवरी के आखिरी महीने तक ठंड बनी रहती है लेकिन इस साल जनवरी के आखिरी सप्ताह से ही सर्द गायब होने लगी है. समय से पहले ठंड जाने से फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इससे फसलों की पैदावार पर गिरावट देखी जा सकती है. अगर आप किसान हैं तो मौसम की खबर आपके लिए निराशाजनक हो सकती है. आइए इस खबर पर फसलों पर पड़ने वाले असर के बारे में जान लेते हैं.
ठंड जाने और तापमान में बढ़ोतरी का असर खेतों पर दिखेगा. लगभग अधिकांश रबी सीजन की फसलों पर इसका प्रभाव पड़ेगा लेकिन जो फसलें तैयार होने की कगार पर हैं वे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी. इन फसलों में गेहूं, सरसों, चना और अलसी का नाम सबसे पहले आता है. इसके अलावा बागवानी फसलों को भी काफी नुकसान होता है. आपको बता दें कि इन फसलों की बुवाई नवंबर के आस-पास होती है और कटाई फरवरी-मार्च के महीने में होती है.
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जनवरी और फरवरी के महीने में इन फसलों में बालियां और दाने आते हैं. दाने और बालियां आने के समय तापमान का संतुलन बहुत जरूरी होता है, अगर ऐसे में रात में शीत गिरना कम होता है और दिन के समय में तापमान और धूप सामान्य से अधिक होता है तो इसके नुकसान देखने को मिलते हैं.
हमने पहले ही बताया है कि इन दिनों फसलों में बालियां या फिर बीज आते हैं. बीजों की मैच्योरिटी के लिए अचानक से तापमान का बढ़ना नुकसानदायक हो जाता है. अगर पौधों में बीज आने लगे हैं तो तापमान बढ़ने के कारण ये पूरी तरह से पक नहीं पाएंगे ये अपना वास्तविक आकार नहीं ले पाएंगे. मोटे और बड़े होने से पहले ही पौधा पक जाएगा. समय से पहले ही पौधों की हरियाली गायब होने लगेगी और पौधा सूखने लगेगा. इन सब के अलावा फसलों में कीट और माहू का भी रिस्क रहता है. बीजों की ग्रोथ रुकने के कारण पैदावार आधे से भी कम हो जाएगी. बागवानी फसलों के फूल सूखने लगते हैं. अगर फल लगे हैं तो बड़े नहीं हो पाते और सूखने लगते हैं.
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