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Wheat Farming: इस साल खतरे में पड़ सकती है गेहूं की खेती, सामान्य से अध‍िक तापमान बढ़ाएगा संकट

Wheat Farming: इस साल खतरे में पड़ सकती है गेहूं की खेती, सामान्य से अध‍िक तापमान बढ़ाएगा संकट

साल 2022 के दौरान फरवरी-मार्च में तापमान में वृद्धि और लू की वजह से हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में अनाज सिकुड़ गया था, जिससे उपज कम हो गई थी. हालांक‍ि, इसके बाद सरकार ने ज्यादा तापमान सहने वाली गेहूं की क‍िस्मों की बुवाई बढ़ाने की अपील की. इसके बाद काफी क‍िसानों ने ऐसी क‍िस्मों की बुवाई की है. 

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गेहूं की फसल पर मौसम की मार गेहूं की फसल पर मौसम की मार

इस साल फरवरी-मार्च में सामान्य से अधिक तापमान होने की संभावना जताई जा रही है. इससे सबसे ज्यादा असर गेहूं की फसल पर पड़ सकता है. इसकी उपज कम हो सकती है. सूत्रों ने कहा कि प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर भारत के गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अगले महीने अधिकतम तापमान में सामान्य स्तर से वृद्धि होने की संभावना है. हालांकि, मौसम विभाग (आईएमडी) एक सप्ताह के बाद फरवरी के लिए पूर्वानुमान जारी करेगा, जिसमें सामान्य स्तर से अपेक्षित वृद्धि के बारे में विवरण का उल्लेख किया जा सकता है. 

फिलहाल, गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्यों का अध‍िकतम तापमान जान लेते हैं. पंजाब में 12.2 ड‍िग्री सेल्स‍ियस, हरियाणा में 18 ड‍िग्री सेल्स‍ियस और उत्तर प्रदेश में 22.6 ड‍िग्री सेल्स‍ियस है. आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि सोमवार को पंजाब में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 7.7 डिग्री सेल्सियस कम था, जबकि हरियाणा में यह सामान्य से 5.3 डिग्री सेल्सियस कम था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में औसत से 9 डिग्री सेल्सियस कम था. इसे फरवरी में काफी बदलने का अनुमान है. 

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राय देना होगी जल्दबाजी

हालांक‍ि, कुछ कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि उच्च तापमान का कोई भी प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि फसल किस चरण में है और उसमें वृद्धि किस स्तर तक है.  इसके अलावा, सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस तक अधिक तापमान का मार्च में भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. रात का तापमान ठंडा बना हुआ है.  करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा क‍ि ''अभी इस मसले पर कोई भी राय लेना जल्दबाजी होगी.''

गेहूं पर कब पड़ेगा असर

ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार, गेहूं की फसल जो 25 नवंबर तक की सामान्य बुआई अवधि के दौरान बोई गई थी, अगर मौसम साफ रहा तो एक सप्ताह में "हेडिंग" आ सकती है, अन्यथा, 3-5 दिनों की देरी हो सकती है. वर्तमान में, उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में दिन के दौरान कोहरा और कम धूप का अनुभव हो रहा है. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि फरवरी में तापमान में वृद्धि होने पर भी जल्दी बोई जाने वाली फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन मार्च में वृद्धि से देर से बोई जाने वाली किस्मों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

ज्यादा तापमान सहने वाली क‍िस्मों की बुवाई

बता दें क‍ि 2022 में, फरवरी-मार्च में तापमान में वृद्धि और लू की वजह से हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में अनाज सिकुड़ गया, जिससे उपज कम हो गई थी. हालांक‍ि, इसके बाद सरकार ने ज्यादा तापमान सहने वाली गेहूं की क‍िस्मों की बुवाई बढ़ाने की अपील की और काफी क‍िसानों ने ऐसी क‍िस्मों की बुवाई की है. इन क‍िस्मों को हम जलवायु-अनुकूल किस्में भी कहते हैं. वर्तमान फसल सीजन में सरकार ने 60 फीसदी क्षेत्र में ज्यादा तापमान वाली गेहूं क‍िस्मों की बुवाई का लक्ष्य रखा था, ज‍िसमें काफी लक्ष्य पूरा हो चुका है. इसल‍िए तापमान में वृद्धि का भी उतना असर नहीं पड़ेगा ज‍ितना पहले पड़ता था.

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