चीनी के साथ गेहूं उत्पादन घटने की चिंता ने मुश्किलें बढ़ाईं, रसोई बजट बिगड़ने और महंगाई दर ऊपर जाने की आशंका 

चीनी के साथ गेहूं उत्पादन घटने की चिंता ने मुश्किलें बढ़ाईं, रसोई बजट बिगड़ने और महंगाई दर ऊपर जाने की आशंका 

महाराष्ट्र में कम बारिश ने अरहर दाल, चीनी, गेहूं के उत्पादन में गिरावट की चिंता बढ़ा दी है. जबकि, रबी सीजन में प्याज की कम बुवाई ने उपज घटने के संकेत दे दिए हैं. ऐसे में प्रमुख रसोई प्रोडक्ट की आपूर्ति में कमी की आशंका जताई जा रही है. इससे इन प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ेंगी जो महंगाई दर को ऊपर ले जाएंगी.

Advertisement
चीनी के साथ गेहूं उत्पादन घटने की चिंता ने मुश्किलें बढ़ाईं, रसोई बजट बिगड़ने और महंगाई दर ऊपर जाने की आशंका कम बारिश ने अरहर दाल, चीनी, गेहूं के उत्पादन में गिरावट की चिंता बढ़ा दी है.

कम बारिश ने महाराष्ट्र में अरहर दाल, चीनी, गेहूं के उत्पादन में गिरावट की चिंता बढ़ा दी है. जबकि, रबी सीजन में यहां प्याज की कम बुवाई ने उपज घटने के संकेत दे दिए हैं. दरअसल, महाराष्ट्र इन कृषि खाद्य वस्तुओं का प्रमुख उत्पादक राज्य है और यहां सूखे जैसी स्थिति से प्याज, दालें, चीनी, फलों और सब्जियों जैसे प्रमुख रसोई प्रोडक्ट की आपूर्ति में कमी आने की आशंका जताई जा रही है. इससे इन प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ेंगी जो महंगाई दर को ऊपर ले जा सकती हैं. 

पिछले वर्ष से जलाशयों का जलस्तर 20 फीसदी कम 

कम बारिश के चलते इस समय महाराष्ट्र में जलाशयों का जल स्तर पिछले वर्ष की तुलना में 20% कम है. पानी की कमी के कारण महाराष्ट्र में रबी सीजन की प्याज की बुआई कम होने की आशंका है. अरहर और चीनी का उत्पादन पहले से ही गिरना तय है, जबकि गेहूं और चना की बुआई भी कम उत्पादन का संकेत दे रही है.भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार मानसून के दौरान महाराष्ट्र में कुल बारिश सामान्य थी, लेकिन मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और उत्तरी महाराष्ट्र जैसे कई क्षेत्रों में बारिश कमी थी. रबी सीजन में 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक बारिश भी कमी श्रेणी में रही है.

प्याज के दाम पहले से ही ऊंचे हैं

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार संगमनेर के निमोन में बीज विक्रेता मुकेश जयभाये ने कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में यह पहली बार है कि मुझे अधिकांश ब्रांड्स के लगभग 50% प्याज के बीज कंपनियों को लौटाने पड़े हैं. बीज विक्रेता ने कहा कि पर्याप्त पानी की कमी ने किसानों को प्याज की बुआई का रकबा कम करने के लिए मजबूर कर दिया है. 
प्याज की कम बुआई से अगले साल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. प्याज की कीमतें पहले से ही ऊंची चल रही हैं. 

कम पानी ने प्याज बुवाई का रकबा घटाया 

महाराष्ट्र के सतारा में राही नेचुरल सीड्स के मालिक राहुल जाधव ने कहा कि जो किसान पांच एकड़ में प्याज लगाते थे उन्होंने पानी की कमी के कारण क्षेत्रफल घटाकर लगभग दो एकड़ कर दिया है. कुछ किसानों ने दिवाली के दौरान बारिश की उम्मीद में प्याज की नर्सरी बोई थी वे पौधों के लिए खरीदार तलाश रहे हैं. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि हम उन किसानों को आपस में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो पानी की कमी के कारण अपने प्याज के पौधे बेचना चाहते हैं और ऐसे किसान जिनके पास पानी है और वे प्याज लगाना चाहते हैं. 

ये भी पढ़ें - Fruit & Vegetables Export: किसानों की फल-सब्जियां निर्यात के लिए प्रोटोकॉल बना रही सरकार, एक्सपोर्ट बढ़ने के साथ आमदनी बढ़ेगी 

अरहर, गेहूं उत्पादन घटने की चिंता गहराई 

महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम मानसूनी बारिश के कारण अरहर के उत्पादन में कमी आने की आशंका है. इसके बाद चना पर भी मार पड़ने का डर है. रिपोर्ट में बताया गया कि चना बुवाई क्षेत्र में 10-15% की गिरावट होने की संभावना है.उधर ज्वार की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई हैं और थोक में यह 85 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है. महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में ज्वार किसान समुदायों का मुख्य भोजन है. यहां तक कि शहरी लोग भी अब गेहूं के बजाय ज्वार खाना चाहते हैं. हालांकि, देश के कुल गेहूं उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी बेहद कम है. लेकिन, उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ की गेहूं उपज इन जिलों में कुछ महीनों के लिए जरूरत को पूरा करती है. राज्य के गेहूं उत्पादन में भी गिरावट की आशंका जताई गई है. ऐसे में कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है, जो महंगाई दर को बढ़ा देगा. 

POST A COMMENT