मई माह में ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुआई की जाती है. इसकी पैदावार शरद और बसंतकालीन गन्ने से कम होती है. यदि ग्रीष्मकालीन गन्ने की पैदावार बढ़ानी है तो उपयुक्त किस्म तथा संतुलित पोषण अनिवार्य है. बुवाई से पूर्व गन्ने के टुकड़ों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखने से अंकुरण अच्छा होता है. गन्ने की फसल को रोग से बचाने के लिए रोगरोधी प्रजातियों की बुवाई करें. गन्ने को अंकुर बेधक व दीमक से बचाने के लिए कूंड़ को ढकने से पहले बीएचसी 20 ई.सी. दवा की 6 लीटर मात्रा को 1 लीटर पानी में घोलकर बोए गए टुकड़ों के ऊपर छिड़काव करें. स्वस्थ बीज एवं समन्वित रोग प्रबंधन द्वारा रोगों से बचाव संभव है तथा अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. रोगग्रस्त गन्ने की पेड़ी को खेत से निकालकर 0.1 प्रतिशत कार्बण्डाजिम का छिड़काव करें.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गन्ने की सीओएच-37 प्रजाति मई के पहले सप्ताह तक लगा सकते हैं.यह किस्म तेजी से बढ़ने वाली है. इसका गन्ना मोटा, नरम व रसीला होता है. यह कमजोर मिट्टी पर तथा सिफारिश की गई नाइट्रोजन की आधी मात्रा से 320 क्विंटल पैदावार तथा 18-20 प्रतिशत खांड देता है. यह अधिक बढ़ने पर गिर जाता है इसलिए इसे द्वि-पक्ति विधि से बोना, मिट्टी चढ़ाना व बांधना बहुत जरूरी है. बुवाई के 6 सप्ताह बाद पहली सिंचाई दें तथा शरदकालीन, बसंतकालीन फसल में मई के महीने में 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. गन्ने में बुवाई के लगभग 3 माह बाद 60-75 किलोग्राम नाइट्रोजन (130-163 किलोग्राम यूरिया) प्रति हेक्टेयर की टॉप ड्रेसिंग करें. यदि गन्ना काटने के बाद गन्ने की बुवाई करनी हो, तो पलेवा करके ही बोएं.
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सीओजे-64 प्रजाति को अधिक सिंचाई की जरूरत होती है. सीओ-1148 व सीओएस-767 प्रजातियां सूखे को काफी सहन कर लेती हैं.मई में गन्ने पर हल्की मिट्टी चढ़ा दें. इससे खरपतवार नियंत्रण तो होता ही है, साथ ही फसल भी गिरने से बच जाती है. पानी की कमी होने पर पत्तियों को पंक्तियों के बीच में 7-8 सेंटीमीटर मोटी परत बिछा देनी चाहिए. ऐसा करने से पेड़ी के खेत में सिंचाई के बाद नमी बनी रहेगी, खरपतवार भी कम उगेंगे, गन्ने की पताई धीरे-धीरे सड़ती रहती है तथा कम्पोस्ट खाद का काम करती है.
फसल की कटाई के बाद सभी मुंड से पेड़ी का फुटाव नहीं होता. इसके कारण खेत में जगह-जगह रिक्त स्थान बन जाते हैं.इन रिक्त स्थानों को भरने के लिए पहले से तैयार नर्सरी से पौधे उखाड़कर लगा देना चाहिए या फिर दो-आंखों वाले टुकड़ों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कर दें.इससे खेत में पौधों की संख्या अधिक रहेगी और अच्छी पैदावार मिलेगी.
मई महीने में गन्ने की फसल पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, खासतौर से सिंचाई प्रबंधन पर. इस महीने में बहुत गर्मी पड़ने के साथ तेज हवाएं भी चलती हैं.मृदा में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिये प्रत्येक 15-20 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए. गन्ने की पेड़ी से अच्छी उपज लेने के लिए 75 किलोग्राम नाइट्रोजन (163 कि.ग्रा. यूरिया) प्रति हेक्टेयर पहली फसल काटने के बाद एवं इतनी ही यूरिया की मात्रा दूसरी व तीसरी सिंचाई के समय या फसल काटने के 60 दिनों बाद एवं साथ ही 75 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग जरूरी है.
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