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इस राज्य में 10 रुपये किलो हुआ टमाटर, नहीं मिल रहा कोई खरीदार, इस वजह से कीमतों में आई गिरावट

इस राज्य में 10 रुपये किलो हुआ टमाटर, नहीं मिल रहा कोई खरीदार, इस वजह से कीमतों में आई गिरावट

किसान आर अरुमुगम ने कहा कि पिछले तीन महीनों से कीमत 30 रुपये से 40 रुपये के बीच रही. इसके चलेत कई किसानों ने अधिक रकबे में टमाटर की खेती की. ऐसे में जिले में जरूरत से ज्यादा टमाटर का उत्पादन हुआ और कीमतें गिर गईं.

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टमाटर की कीमत में गिरावट. (सांकेतिक फोटो) टमाटर की कीमत में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में टमाटर की कीमतों में गिरावट आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. रविवार को थोक बाजार में एक किलो टमाटर 10 रुपये प्रति किलो बिका, जबकि एक महीने पहले यह 30 से 40 रुपये बिक रहा था. किसानों का कहना है कि टमाटर के होलसेल रेट में गिरावट आने के चलते लागत निकालना मुश्किल हो गया है. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. वहीं, बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों ने इस साल अधिक रकबे में टमाटर की खेती की थी. ऐसे में बंपर उत्पादन होने से कीमतें कम हो गईं.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मपुरी जिले में टमाटर की खेती से लगभग 1.90 लाख से अधिक छोटे और सीमांत किसान जुड़े हुए हैं. ये 6,100 हेक्टेयर से अधिक रकबे में टमाटर की खेती करते हैं. कभी-कभी जरूरत से ज्यादा उत्पादन होता है, जिसके चलते कीमतों में गिरावट आ जाती है. वहीं, किसानों और व्यापारियों को डर है कि कहीं मार्च में इस सीजन के अंत तक कीमतें इसी तरह से स्थिर न रहे. ऐसे में उन्हें और नुकसान उठाना पड़ेगा.

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टमाटर के लिए कोई खरीदार नहीं

पलाकोड के एक थोक व्यापारी आर गणेशन ने कहा कि अभी टमाटर के लिए कोई खरीदार नहीं हैं. धर्मपुरी में पीक सीजन है और अधिक उत्पादन के कारण कीमतों में गिरावट सामान्य है. हालांकि चिंताजनक बात यह है कि यह स्थिति आगे भी जारी रहेगी. हमारी जांच से पता चला है कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने टमाटर की खेती का रकबा बढ़ाया है. इसलिए व्यापार क्षमता कम हो गई है. उन्होंने कहा कि रविवार को, हमने 17 किलोग्राम का एक बॉक्स 200 रुपये में बेचा. 

पहले इतनी थी कीमत

किसान आर अरुमुगम ने कहा कि पिछले तीन महीनों से कीमत 30 रुपये से 40 रुपये के बीच रही. इसके चलेत कई किसानों ने अधिक रकबे में टमाटर की खेती की. इसके चलते जिले में जरूरत से ज्यादा टमाटर का उत्पादन हुआ और कीमतें गिर गईं. अगर कीमतें गिरती रहीं तो किसानों की आजीविका चौपट हो जाएगी. अप्रैल और मई तक पानी की कमी के कारण हम खेती नहीं कर पाएंगे और हमें कुछ मुनाफा होने की उम्मीद है.

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क्या कहते हैं अधिकारी

संपर्क करने पर, बागवानी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न होने का एक मुख्य कारण फसल चक्र अपनाने की अनिच्छा है. जबकि हम किसानों को नियमित रूप से सलाह देते रहे हैं, लेकिन वे नहीं सुनते. अभी, खेती की तकनीकों और ग्रीन हाउस खेती में प्रगति के कारण टमाटर की किस्मों की खेती न्यूनतम प्रभाव के साथ पूरे वर्ष की जा सकती है. ये कारक भी मांग को प्रभावित करते हैं.