तेलंगाना के कपास किसान संकट में — CCI के नए खरीद नियमों से बढ़ी मुश्किलें, ऐप ने भी बढ़ाई परेशानी

तेलंगाना के कपास किसान संकट में — CCI के नए खरीद नियमों से बढ़ी मुश्किलें, ऐप ने भी बढ़ाई परेशानी

तेलंगाना के कपास किसान इन दिनों CCI (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) के नए खरीद नियमों से परेशान हैं. डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, कपास खरीद की घटाई गई सीमा (12 से 7 क्विंटल प्रति एकड़) और बारिश से बढ़ी नमी जैसी दिक्कतों ने फसल बेचने की प्रक्रिया को मुश्किल बना दिया है.

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कपास किसान संकट में, CCI के नए खरीद नियमों से बढ़ी मुश्किलेंतेलंगाना के कपास किसान मुश्किल में हैं क्योंकि उपज में नमी की मात्रा अधिक है

तेलंगाना के कपास किसान अभी परेशानी झेल रहे हैं. वजह है कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) के नए खरीद नियम. हालांकि नियम का मकसद साफ और वाजिब है कि कपास खरीद में किसी भी तरह की धांधली को रोका जाए. मगर दूसरी ओर खरीद के नियमों ने काम आसान करने के बजाय भ्रम और कठिनाई पैदा कर दी है. इससे कई छोटे किसानों को कम कीमतों पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है या अपनी फसल को खराब होते देखना पड़ रहा है.

यादाद्री भोंगिर, नारायणपेट, भद्राद्री कोठागुडेम और आदिलाबाद जिलों के किसानों ने नुकसान की बात उठाई है और आसपास के नेशनल हाईवे पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

कपास के लिए खलनायक बनी बारिश

हाल के बीते दिनों की बात करें तो खरीफ की कटाई बेमौसम बारिश के बीच शुरू हुई. इस बीच किसानों को अनिवार्य तौर पर कपास किसान ऐप अपनाने के लिए कहा गया. इस ऐप का काम कुछ ऐसा है कि किसान फसल बिक्री से अधिक इस पर रजिस्ट्रेशन को लेकर परेशान हो रहे हैं. 

किसानों को कपास बिक्री का स्लॉट बुक करने से पहले भूमि रिकॉर्ड, फसल प्रमाण पत्र और आधार-लिंक्ड डिटेल के साथ रजिस्ट्रेशन करना होता है. इन अलग-अलग प्रक्रियाओं ने मुश्किलों को और बढ़ा दिया है.

कपास खरीद की लिमिट भी घटी

दूसरी ओर, CCI ने अब खरीद को पहले की 12 क्विंटल प्रति एकड़ की सीमा से घटाकर सात क्विंटल प्रति एकड़ कर दिया है, जबकि फसल के आकलन के अनुसार खराब मौसम के बावजूद उपज 11.74 क्विंटल प्रति एकड़ तक होने का अनुमान है. इससे तेलंगाना के पांच लाख कपास किसान परेशान हैं.

महबूबाबाद के डोर्नकल मंडल के एक छोटे किसान मडिकांति नरसैया ने 'तेलंगाना टुडे' से कहा, "कागजी कार्रवाई को सरल बनाएं, सीमाएं हटाएं, मिलों का विस्तार करें, नहीं तो किसानों को निजी व्यापारियों रहमो-करम पर छोड़ दिया जाएगा." वह अपनी दो एकड़ जमीन से काटी गई फसल बेचने का इंतजार कर रहे हैं.

नरसैया ने चेतावनी दी, "नहीं तो इस मौसम की अच्छी फसल कड़वी फसल में बदल जाएगी." डिजिटल सिस्टम, हालांकि बिचौलियों को खत्म करने और 8,110 रुपये प्रति क्विंटल के MSP की गारंटी देने के मकसद से बनाया गया है, लेकिन कई लोगों के लिए इसे इस्तेमाल करना मुश्किल साबित हो रहा है.

उन्होंने कहा, "हममें से अस्सी प्रतिशत लोगों को ऐप का इस्तेमाल करना नहीं आता है, और तकनीकी गड़बड़ियों के कारण हम बिक्री के सिस्टम से बाहर हो रहे हैं."

बिक्री के इंतजार में कई किसान

स्लॉट बुक किए बिना, कपास से लदे ट्रक जिनिंग मिलों पर कई दिनों तक कतारों में खड़े रहते हैं, लेकिन भंडारण की कमी या मनमानी सीमाओं के कारण उन्हें लौटा दिया जाता है. खरीद केंद्र दिवाली के बाद अलग-अलग स्थानों पर खुलने वाले थे, फिर भी किसान इंतजार कर रहे हैं.

यादाद्री भोंगिर के रामन्नापेट के वेंकटेश्वरलू ने गुस्से में कहा, "बाढ़ और चक्रवातों के कारण प्रकृति के प्रकोप ने पहले ही हमारी पैदावार कम कर दी है. अब CCI ने खरीद में पांच क्विंटल की कटौती कर दी है, जिससे हमें उन व्यापारियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है जो MSP का आधा दाम दे रहे हैं."

नमी से कपास बिक्री पड़ी धीमी 

नमी की समस्याओं ने भी परेशानी बढ़ा दी है, हाल की बारिश ने नमी के स्तर को 8-12 प्रतिशत की सीमा से ऊपर पहुंचा दिया है. CCI अधिकारी पहले फील्ड लेवल पर खरीद के भरोसे के बावजूद, प्रति क्विंटल 1.5 किलोग्राम तक की कटौती कर रहे हैं या स्टॉक को 'गीला' बताकर सीधे रिजेक्ट कर रहे हैं.

इस हालात ने किसानों को प्राइवेट व्यापारियों की ओर धकेल दिया है, जिससे उन्हें सही कीमत मिलने के मौके कम हो गए हैं. CPI यादद्री भोंगिर जिले के सेक्रेटरी यानाला दामोदर रेड्डी ने रामन्नापेट में तुरंत बिना किसी शर्त के खरीद केंद्र शुरू करने की मांग की और सरकार से बारिश से खराब हुई फसलों को बचाने का आग्रह किया.

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