सोने की तरह लहलहाती गेहूं की बालियां अब पक कर कटने को तैयार हैं. लेकिन इनकी कटाई कब करें? कैसे करें? ये सवाल किसानों को परेशान कर रहा होगा. कई बार किसान इनकी कटाई पकने से पहले कर देते हैं, जिससे उनकी उपज बाद में सूखकर सिकुड़ जाती है. या देर होने पर खेतों में ही झड़ने लगती है जिसका खामियाजा किसान को कम उपज या गुणवत्ताहीन उपज के रूप में मिलती है. कटाई का समय, फसल में नमी की मात्रा, उपयोग की जाने वाली तकनीक (मैनुअल या मैकेनिकल) अहम कारक हैं जो उपज की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं.
एक तरफ जहां अधिक नमी पर कटाई करने से गेहूं में फफूंद का विकास हो जाता है, दूसरी तरफ गेहूं की बाली ज्यादा सूख जाती है तो अनाज के टूटने के कारण हानि 2 से लेकर 7 फीसदी तक हो सकती है. कटाई और मड़ाई के खराब शेड्यूल, अनाज की नमी के कारण बाजार में बेचने में दिक्कत आ सकती है. पर अगर कटाई के समय कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए, जैसे फसल की कटाई किस अवस्था पर करें, फसल की कटाई का तरीका क्या हो और फसल का भंडारण कैसे किया जाए, तो इन सवालों के सही जवाब से आपकी फसल की क्वालिटी और उपज दोनों बढ़ जाएगी.
गेहूं के पकने की अवस्था का अनुमान किसान अपने अनुभव के आधार पर लगा सकते हैं. जैसे फसल पकने पर पत्तियां सूख जाती हैं और बाली के नीचे का भाग सुनहरा हो जाता है. दानों को अगर अंगूठे से दबाया जाए तो दूध नहीं निकलता और दानों में कड़ापन आ जाता है. इसके अतिरिक्त अगर नमी मापने की सुविधा हो तो दाने में 18 से 23 प्रतिशत नमी रह जाने पर फसल काटी जा सकती है. परीक्षणों से पता चला है कि 25 प्रतिशत नमी होने पर गेहूं पक जाता है और गेहूं की फसल में जब ये अवस्थाएं आ जाएं, तभी आप गेहूं की कटाई करें.
गेहूं की कटाई की विधि खेत के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है. अगर खेत छोटे हैं, तो इसकी कटाई आप हाथ से या दराती से कर सकते हैं. लेकिन हाथ से या दराती से गेहूं काटने में समय और मजदूरी दोनों ही ज्यादा लगता है. कृषि मशीनों के उपयोग से समय पर कटाई और लागत कम की जा सकती है. इन तकनीकों में कंबाइन, रीपर-बाइंडर और स्व-चालित रीपर शामिल हैं. इन मशीनों का प्रयोग करके कम समय और कम खर्च में कटाई की जा सकती है. इसके साथ ही, मैकेनिकल रीपिंग और बाइंडिंग से भी कटाई की जा सकती है.
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अनाज की हानि को कम करने के लिए, फसल पैरामीटरों और मशीन पैरामीटरों का संतुलन ध्यान में रखना चाहिए. इससे अनाज की हानि को कम किया जा सकता है. आज कल ज्यादातर किसान गेहूं की कटाई हार्वेस्टर मशीन यानी कंबाइन से करवाते हैं. लेकिन ज्यादा समय से काम में न लेने के कारण ये मशीनें कई बार दिक्कत करने लगती हैं. इसलिए, कटाई से पहले इनकी जांच ठीक तरह से करने के बाद ही कंबाइन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
कटाई के वक्त बरती जाने वाली सावधानियों की बात करें तो, सबसे पहले दानों में नमी की मात्रा की जांच करनी चाहिए. अगर नमी कम हो चुकी है तो गेहूं की कटाई में देर नहीं करनी चाहिए. गेहूं की कटाई में सही तकनीक अपनानी चाहिए. गेहूं की फ़सल को काटने से पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए. अप्रैल के अंत तक सभी किस्मों को कटा लेना चाहिए. कटाई के बाद बिखरने, पक्षियों, कीड़ों और खेत में कटाई के दौरान क्षति के कारण नुकसान हो सकता है. गेहूं की कटाई से पहले और कटाई के बाद का प्रबंधन भंडारण के लिए अहम है. अधिक नमी वाले गेहूं की कटाई से फफूंद का संक्रमण हो सकता है. गेहूं की कटाई के बाद लगभग 8 फीसदी नुकसान होता है.
गेहूं की कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं- कटाई के तुरंत बाद गीले गेहूं के दानों को एक समान रूप से सुखाना सुनिश्चित करें. अनाज को दूषित होने से बचाने के लिए बोरों में सही तरह से प्रभावी पैकिंग करें. गेहूं की पैकेजिंग में लंबी शेल्फ लाइफ सुनिश्चित करने और उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए, अच्छे, साफ-सुथरे, मिलावट रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता अहम है. गेहूं के निर्यात के लिए अधिक सावधानी से पैक किया जाना चाहिए. आज के उपभोक्तावादी समाज में पैकिंग न केवल सामग्री की सुरक्षा करती है, बल्कि ग्राहक को भी आकर्षित करती है. अच्छी पैकिंग से गेहूं लंबे समय तक अच्छी स्थिति में रहता है. गेहूं को पैक करने के लिए नए, सूखे जूट बैग का उपयोग किया जाना चाहिए. प्रत्येक बैग को मजबूती से सीलबंद करना चाहिए.
मड़ाई के बाद अगर आप गेहूं का भंडारण करना चाहते हैं, तो गेहूं के दानों को साफ किया जाना चाहिए. अनाज को तब तक सुखाना चाहिए जब तक नमी की मात्रा 10 से 12 फीसदी से कम ना हो जाए. गेहूं के दानों में नमी का प्रतिशत 10-12 प्रतिशत होना चाहिए. स्टोरेज में रखने से पहले अनाज, भंडारण संरचना की सफाई और कीटाणुशोधन किया जाना चाहिए. स्टोरेज को बंद करने से पहले, कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए. चूहों को रोकने के लिए, आसपास का क्षेत्र को साफ किया जाना चाहिए.
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भंडारण से पहले जिसमें गेहूं रखना हो, उन ड्रमों को धूप में अच्छी तरह से सूखा लें. ड्रम में गेहूं रखने से पहले नीम की पत्ती डालें, जिससे ड्रम में रखे गेहूं में कीड़ें ना लगें. इस तरह अगर आप इन तरीक़ों से गेहूं की कटाई और भंडारण करेंगे, तो गेहूं की ज्यादा उपज लेकर उसे ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रख सकेंगे. सीमांत के किसान और छोटी भूमि जोत वाले आधुनिक भंडारण संरचनाओं का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं. अपनी उपज को तब तक अपने पास रखें जब तक बाजार में कीमतें बेचने के लिए अनुकूल न हों. सरकार द्वारा गोदामों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस तरह, कटाई और मड़ाई प्रबंधन के लिए उपयुक्त तकनीकों का प्रयोग करके, किसान अपनी उपज को सुरक्षित रख सकते हैं और अनाज की हानि को कम कर सकते हैं.
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