खरीफनामा: मक्के का जमाना है दीवाना पक्का... ये बातें यूं ही नहीं कहीं जाती हैं. असल में मक्के ने पारंपरिक अंदाज के साथ ही कई स्वादों के साथ लोगों के बीच अपनी विशेष जगह बनाई है, जिसमें मक्के का आटा, कॉर्नफ्लेक्स, पॉपकॉर्न, बेबीकॉर्न और स्वीटकॉर्न जैसे उत्पाद प्रमुख हैं, जिनका उपयोग आज देश के प्रत्येक घर में हो रहा है. वहीं किसान भी मक्के की अलग-अलग किस्मों की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. इसी में एक स्वीटकॉर्न भी है, जिसे मीठा मक्का कहा जाता है. इसे लोग भुट्टे के रूप में या उबाल कर खाना पसंद करते हैं.
शहरों में हाई रेट के बावजूद इसकी मांग ज्यादा रहती है. स्वीटकॉर्न की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. किसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में स्वीटकॉर्न की खेती से जुड़ी पूरी रिपोर्ट, ये जानकारी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है.
खरीफ सीजन शुरू होने को है. इस सीजन में किसान संकर मक्का के साथ ही स्वीटकॉर्न की खेती कर सकते हैं. कुल मिलाकर स्वीटकॉर्न वाले मक्के की बुवाई का सही समय है. स्वीटकॉर्न वाला मक्के की फसल 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. वहीं स्वीट कॉर्न के लिए भुट्टो की तुड़ाई 55-60 दिन पर ही कर ली जाती है. इससे कम समय में अच्छी आमदनी मिल जाती हैं.
गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के फसल विज्ञान के प्रोफेसर डॉ रोहितास सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा की स्वीटकॉर्न वाले मक्के की खेती अप्रैल अंंत से जून मध्य तक पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है. उत्तर भारत में इसकी बुवाई खरीफ के मौसम में यानी जून से जुलाई के बीच की जाती है.
किसान तक से बातचीत में गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के फसल विज्ञान के प्रोफेसर डॉ रोहितास सिंह ने कहा कि खेत की तैयारी के लिए 2 बार गहरी जुताई करें. उन्होंने कहा कि मिट्टी को जितना भुरभुरा बना लेंगे, बीज के अच्छे अंकुरण के लिए उतना ही बेहतर होगा. मक्का के लिए गहरी काली मिट्टी, जिसकी उर्वरता अच्छी हो,सही मानी जाती है. मिट्टी का पीएच 6.5 से लेकर 7.5 के बीच रहना चाहिए. खेत तैयारी के समय प्रति एकड़ 4-5 टन गोबर या कंपोस्ट डालें.
फसल विज्ञान के प्रोफेसर डॉ रोहितास सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में यानि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में मीठी मक्का पूसा सुपर स्वीटकार्न 2, वीएल स्वीटकार्न संकर 2, न्यूजी 260, अल्मोडा स्वीट कॉर्न की बुवाई कर सकते हैं. उत्तर भारत में पूसा सुपर स्वीटकार्न 2 संकुल किस्म माधुरी की बुआई कर सकते हैं. इसके अलावा प्रिया, अल्मोडा स्वीट कॉर्न, ऑरेन्ज स्वीट कॉर्न, एचएससी-1 विन स्वीट कॉर्न सहित कई किस्में हैं.
प्रोफेसर डॉ रोहितास सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा की स्वीट कॉर्न का बीज हल्का होने के कारण 4-5 किग्रा बीज प्रति एकड़ पर्याप्त रहता हैं. फसल को रोगों से बचाव के लिए मेटालेक्जिल 8% + मैंकोजेब 64% की 2.5 ग्राम दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करना चाहिए या बायोफंजीसाइड दवा ट्राईकोडरमा 1% दवा 10 ग्राम ग्राम दवा से प्रति किलो बीज दर को उपचारित करना चाहिए. कीटो से रोकथाम के लिए लिए, पौधों को इमिडाक्लोप्रिड 70 (WS) की 5 ग्राम दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करना चाहिए. मक्के की बुआई लाइनों में निश्चित दूरी पर करनी चाहिए. इसके लिए किसान मल्टी क्रॉप सीड ड्रिल का उपयोग भी कर सकते हैं. मक्के की बुआई हमेशा लाइनों में करना सही रहता है. ऐसा ना करने पर उपज में कमी देखी जा सकती है. स्वीटकॉर्न के लिए दूरी लाइन से लाइन और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी है × 30 सेमी या 75 सेमी × 25 सेमी रखा जाना चाहिए. बीज लगभग 5 सेमी गहरा बोना चाहिए.
किसान तक से बातचीत में डॉ रोहितास सिंह ने कहा कि खाद-उर्वरक स्वायल टेस्टिंग के आधार पर दें.अगर किसी कारणवश मिट्टी परीक्षण नहीं हो पाता है तो स्वीटकॉर्न, जल्दी पकने वाली प्रजातियों के लिए प्रति एकड़ 45-50 किग्रा नाइट्रोजन, 25 किग्रा फास्फोरस और 16 किग्रा पोटाश देना चाहिए. वहीं विलम्ब से और मध्यम देर से पकने वाली प्रजातियों के लिए 60 किग्रा नाइट्रोजन, 45- 50 किग्रा फास्फोरस व 16 किग्रा पोटाश प्रति एकड़ देना उपयुक्त माना जाता है. फास्फोरस एवं पोटाश पूरी मात्रा 20 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के समय कूड़े में प्रयोग करें. 20 प्रतिशत नाइट्रोजन जब पौधे में 4 पत्ते हों, 30 प्रतिशत नाइट्रोजन जब पौधा लगभग दो फुट लंबा और 30 प्रतिशत फीसदी नाइट्रोजन जब नर फूल (नर फूल) निकलता है, इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
किसान तक से बातचीत में डॉ रोहितास सिंह ने कहा कि वैसे तो मक्के की बुवाई बरसात के सीजन में होती है. ऐसे में इसकी सिंचाई करने की जरूरत नही होती है. अगर बारिश नहीं हो तो चार से पांच सिंचाई की जरूरत पड़ती है. जब फसल में रेशा निकलना शुरू हो और दानों की भराई शुरू हो तो उस वक्त खेत में नमी बेहद जरूरी है. प्रारम्भिक अवस्था में अगर पानी उपलब्ध ना हो तो दाने कम बनते हैं. खेत से पानी की निकासी का अच्छा प्रबंध होना चाहिए. नहीं तो पौधे पीले पड़ जाते हैं और उनका बढ़वार रुक जाती है.
किसान तक से बातचीत में डॉ रोहितास सिंह ने कहा की खेत में खरपतवार हों तो उन्हें समय-समय पर निकालते रहें. शुरुआत में 25 से 30 दिन तक इस फसल में खरपतवार नहीं होंगी तो फसल की अच्छी वृद्धि होगी, जिसका फायदा आपको ज्यादा उपज के रूप में मिलेगा. इसलिए खेत को खखरपतवार मुक्त रखना इसके लिए दो निराई की जरूरत होती है पहले बिजाई 15 से 20 दिन बाद और दूसरा 30 से 35 दिन बाद करना चाहिए । रासायनिक विधि खरपतवारों के लिए एट्राज़ीन 50 डब्ल्यू पी. 2.0 किग्रा पाउडर 500 लीटर पानी बुवाई के तुरंत बाद या 2-3 दिनों के भीतर की दर से छिड़काव करना चाहिए .
सही समय पर करे कटाई
डॉ रोहितास सिंह किसान तक में कहा स्वीट कॉर्न की कटाई की प्रक्रिया बहुत ही आसान है. जब फलियों से दूधिया पदार्थ निकलने लगे तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। स्वीट कॉर्न की तुड़ाई सुबह या शाम के समय ही करें, इससे फसल लंबे समय तक ताजी रहेगी. कटाई के बाद इसे बाजारों में बेच दें स्वीट कॉर्न को ज्यादा देर तक स्टोर न करें, ऐसा करने से इसकी मिठास कम हो जाएगी.
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