महाराष्ट्र में एक तरफ प्याज के दाम में तेजी से वृद्धि हो रही है तो दूसरी ओर सोयाबीन के दाम में बहुत तेजी से गिरावट देखी जा रही है. इसकी वजह से सोयाबीन की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि एक तरफ भारत खाद्य तेलों को बड़े पैमाने पर आयात कर रहा है तो दूसरी ओर अपने देश के किसानों को तिलहन फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है. महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक है. यहां की कई मंडियों में सोयाबीन का भाव एमएसपी से नीचे चला गया है. कुछ मंडियों में तो दाम 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गया है.
जबकि केंद्र सरकार ने सोयाबीन की एमएसपी में 300 रुपये का इजाफा करके 2023-24 के लिए इसे 4600 रुपये प्रति क्विंटल किया है. लेकिन महाराष्ट्र में लगातार सोयाबीन का दाम एमएसपी से कम मिल रहा है, जिससे किसानों में सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी है. लासलगांव विंचुर में सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 3000 और लासलगांव में 3100 रुपये है. वानी मंडी में 3305 रुपये दाम है.
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सोयाबीन कई मायने में एक महत्वपूर्ण फसल है. इसका दाम 2021 और 2022 में 8000 से 11000 रुपये प्रति क्विंटल तक था, लेकिन बाद में इसके दाम में भारी गिरावट आ गई. पिछले साल भी किसानों को इसका उचित दाम नहीं मिला. जबकि सोयाबीन एक दलहन-तिलहन एवं नगदी फसल है. इंदौर स्थित सोयाबीन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत और कुल खाने वाले तेल उत्पादन में 22 प्रतिशत का बड़ा योगदान दे रहा है. है. सोयाबीन में भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की पूरी क्षमता है.
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