दुनिया के बाजारों में चावल के दाम में भारी गिरावट दर्ज की गई है. वियतनाम और पाकिस्तान ने चावल के दाम तेजी से गिराए हैं. दोनों देशों का कहना है कि दुनिया में चावल की मांग में कमी आई है, जिससे उन्हें अपने चावल के दाम को गिराना पड़ा है. इन देशों ने इसलिए भी चावल के दाम घटाए हैं, क्योंकि उनकी करंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत भी अपने बाजार में चावल के दाम कम करेगा?
'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम में चावल का भाव पिछले चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. इसकी वजह से दुनिया के बाजारों में हलचल है क्योंकि वियतनाम दुनिया में चावल का बहुत बड़ा सप्लायर है. वियतनाम में चावल के गिरते दाम के बीच दुनिया के खरीदार अभी 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं. वे तब तक कोई डील नहीं करेंगे जब तक दाम में कोई स्थिरता न आ जाए.
विश्व बाजारों की यह स्थिति भारत को भी मुश्किल में डाल रही है. भारत में भी चावल, खासकर सफेद चावल के भाव में पिछले दो साल से गिरावट है. लेकिन उबले चावल में अभी कोई कमी नहीं देखी जा रही है. ऐसे में सवाल है कि जब दुनिया के देशों में भाव में तेजी से गिरावट देखी जा रही है, तो भारत में ऐसी स्थिति कब आएगी. सफेद चावल के दाम में भी गिरावट है, लेकिन यह मामूली है. खुदरा में यह गिरावट और भी कम है.
दिल्ली के एक व्यापारी राजेश पहाड़िया जैन ने कहा कि वियतनाम और पाकिस्तान अपने मौके को भारत के पास नहीं जाने देना चाहते. इसलिए उन्होंने पहले ही चावल के रेट गिरा दिए हैं. वियतनाम को तब पेरशानी हुई जब भारत ने चावल निर्यात में ढील दी क्योंकि उसने अपने चावल बाजार को दुनिया के लिए खोल दिया जो अभी तक बंद था. इससे वियतनाम का चावल खूब बिक रहा था. उससे पहले दक्षिण पूर्ण एशिया के भी कई देश भारत का चावल खरीद रहे थे.
भारत के निर्यात में ढील मिलते ही कई एशियाई देशों में पहले वाली स्थिति आ गई है जो भारत का चावल बड़ी मात्रा में खरीद रहे हैं. इससे वियतनाम के चावल के दाम धड़ाम से गिर गए. पोर्ट पर चावल की कई खेप फंस गई है. एक्सपर्ट कहते हैं, हालांकि वियतनाम में चावल के दाम जरूर गिरे हैं, लेकिन अब इससे नीचे भाव जाने की गुंजाइश नहीं है क्योंकि वहां की सरकार किसानों को गिरते दाम के संकट में नहीं धकेल सकती.
एक्सपर्ट कहते हैं कि चावल के विश्व बाजार में अंतरराष्ट्रीय करंसी का बड़ा रोल होता है. भारत की करंसी रुपये को देखें तो वह वियतनाम और पाकिस्तान की करंसी से कुछ मजबूत है. इसलिए भारत में उन दोनों देशों के मुकाबले भाव में कम गिरावट है. डॉलर के मुकाबले रुपया भी कमजोर है, लेकिन वियतनाम और पाकिस्तान की तुलना में मजबूत है. इसलिए बाकी देशों में दाम में बड़ी गिरावट है जबकि भारत में कम है. अब देखना होगा कि भारत में दाम कितना गिरता है जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सके.
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