पंजाब में 1 अक्टूबर यानी आज से धान की आधिकारिक खरीद शुरू होने वाली है. लेकिन दो प्रमुख आढ़ती कमीशन एजेंट संघों ने हड़ताल की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तब तक वे अनाज मंडियों से बासमती चावल सहित एक भी अनाज नहीं खरीदेंगे. आढ़तियों के साथ-साथ चावल मिल मालिकों ने भी चावल का भंडारण रोक दिया है, जिससे धान की सप्लाई सीरीज में संभावित संकट पैदा हो गया है. इसके अलावा पंजाब मंडी मजदूर संघों ने भी हाल ही में 1 अक्टूबर से हड़ताल की घोषणा की है.
खास बात यह है कि इस साल भी पिछले वर्षों की तरह, सरकार खरीद के बाद चावल शेलर मिलों में धान का भंडारण करेगी, जिसे बाद में पूरे साल भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा मिलिंग और उठाया जाएगा. ऐसे पंजाब में लगभग 32 लाख हेक्टयेर में धान की खेती की जाती है, जिसमें बासमती चावल का रकबा 600,000 हेक्टेयर से अधिक है. हालांकि, चावल की शुरुआती किस्मों की कटाई पहले से ही की जा रही है. ऐसे इस साल राज्य को चालू कटाई के मौसम के दौरान लगभग 200 लाख मीट्रिक टन धान आने की उम्मीद है.
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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के आढ़ती संघ के अध्यक्ष विजय कालरा ने राज्य भर में 50,000 कमीशन एजेंटों की दुर्दशा के बारे में सरकार के सामने अपनी बात रखी है. उनके मुताबिक, ये कमीशन एजेंट गेहूं, धान और अन्य फसलों की खरीद में किसानों की मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि आढ़तियों को सरकार द्वारा खरीदी गई फसलों पर 2.5 फीसदी कमीशन मिलना चाहिए. साल 2018-19 से कमीशन 46 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो बढ़ती लागत को देखते हुए अब उचित नहीं है. कालरा ने कहा कि कमीशन पर इस रोक के कारण, हमारे आय के स्रोत सीमित हो गए हैं. हमारे परिवारों के लिए चिकित्सा और शिक्षा के खर्चों को पूरा करना मुश्किल हो गया है.
उन्होंने एफसीआई द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योगदान के लिए कमीशन एजेंटों के भुगतान से लगभग 50 करोड़ रुपये काटने की प्रथा पर भी चिंता जताई, जिसका भुगतान न तो ईपीएफ विभाग को किया गया है और न ही मजदूरों को. कालरा ने बताया कि ईपीएफ कमीशन एजेंटों पर लागू नहीं होता है, जो आम तौर पर प्रति दुकान 5-8 मजदूरों को काम पर रखते हैं, जिनमें अक्सर दूसरे राज्यों से आए प्रवासी मजदूर शामिल होते हैं. उन्होंने आग्रह किया कि यह राशि जल्द से जल्द जारी की जाए.
इसके अलावा, कालरा ने बताया कि 2011 से, एफसीआई डगरू (मोगा) में अडानी साइलो से थोक में गेहूं ले रहा है, जिसमें पहले पूरा कमीशन दिया जाता था. हालांकि, मौजूदा आरएमएस 2023-24 खरीद सीजन के दौरान, एफसीआई ने कमीशन दर का केवल आधा (23 रुपये प्रति क्विंटल) भुगतान किया है, जबकि बाकी अभी भी लंबित है. उन्होंने इस स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया.
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कालरा ने मजदूरों के भुगतान में भी विसंगति का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में केंद्र सरकार की एजेंसी मजदूरों को लोडिंग के लिए प्रति बैग 3.23 रुपये का मुआवजा देती है, जबकि पंजाब के आढ़तियों को केवल 1.80 रुपये मिलते हैं, जो उनके अनुसार अन्यायपूर्ण है. उन्होंने पिछली गेहूं खरीद के दौरान गुणवत्ता नियंत्रण के लिए सरकार के संचालन की आलोचना की. उन्होंने कहा कि माल के परिवहन में देरी से उत्पन्न गुणवत्ता संबंधी समस्याओं के लिए अक्सर आढ़तियों को दोषी ठहराया जाता है. आढ़ती समुदाय के एक अन्य प्रमुख नेता और आढ़ती एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष रविंदर सिंह चीमा ने भी चिंताओं को दोहराया.
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