वैक्सिंग ने बिगाड़ा पंजाबी किन्नू का बाजार, PAU की टीम ने और भी किए खुलासे 

वैक्सिंग ने बिगाड़ा पंजाबी किन्नू का बाजार, PAU की टीम ने और भी किए खुलासे 

पंजाब में किन्नू की गिरती कीमतों और डिमांड के कारण जानने के लिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसाल के साथ एक टीम ने अबोहर में खट्टे फलों के बागों और पैक हाउस का दौरा किया. इस मौके पर विदेशी एक्सपर्ट भी मौजूद थे. इसका मकसद किन्नू उत्पादकों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझना और संभावित समाधान तैयार करना था. 

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वैक्सिंग ने बिगाड़ा पंजाबी किन्नू का बाजार, PAU की टीम ने और भी किए खुलासे पंजाब के किन्नू की कीमत और डिमांड लगातार गिर रही है. फोटो क्रेडिट-पीएयू

देश में सबसे ज्यादा किन्नू का उत्पादन पंजाब में होता है. देश ही नहीं विदेश तक पंजाब का किन्नू एक्सपोर्ट होता है. लेकिन बीते कुछ वक्त से किन्नू एक्सपोर्ट में गिरावट आ रही है. देश के बाजार में भी पंजाबी किन्नू की डिमांड और रेट कम हो रहे हैं. इसकी वजह जानने के लिए मंगलवार को पंजाब एग्रीकल्च्र यूनिवर्सिटी (पीएयू) के वाइस चांसलर और उनकी टीम के अलावा कुछ विदेशी संस्थानों के एक्सपर्ट ने पंजाब के अबोहर का दौरा किया. यहां किन्नू के बाग और पैकिंग शेड देखने के साथ ही प्रोसेसिंग प्लांट की बारीकियों को भी समझा. 

साथ ही बाग से लेकर प्रोसेसिंग यूनिट तक में बरती जा रहीं लापरवाही की ओर इशारा करते हुए खामियों को भी बताया. किसानों द्वारा किन्नू पर की जा रही वैक्सिंग को लेकर खासी हैरानी जताई गई. किन्नू के विदेशों खरीदारों द्वारा जताई जा रहीं खामियों की ओर भी इशारा किया गया. 

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इसलिए घट रही है किन्नू की डिमांड और रेट  

पीएयू के वाइस चांसलर सतबीर सिंह गोसाल ने बताया कि पंजाब को सबसे ज्यादा किन्नू उत्पादक राज्य के तौर पर देखा जाता है. लेकिन इस वक्त किन्नू् के किसान बढ़ते प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट में गिरावट से जूझ रहे हैं. बाजार में लागत के हिसाब से रेट भी नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह साफ हैं. जैसे किन्नू को ट्रांसपोर्ट करने का तरीका सही नहीं है. प्रोसेसिंग यूनिट की कमी है. किन्नू पर आने वाले निशान और उसमे केमिकल की मात्रा होने की वजह से एक्सपोर्ट में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

एक्सपोर्ट किए जाने वाले किन्नू की सही तरीके से ग्रेडिंग ना होना, फल में फाइटोफ्थोरा संक्रमण, वाहन प्रदूषण और फलों के पतला होने और उनका साइज छोटा होने की वजह से खासतौर पर एक्सपोर्ट में परेशानी आ रही है.

किन्नू की वैक्सिंग ने बिगाड़ा देश-विदेश का बाजार 

वाइस चांसलर ने किन्नू पैकिंग शेड देखने के बाद बताया कि किसान किन्नू की शेल लाइफ बढ़ाने के लिए वर्षों पुरानी पारंपरिक प्रथा वैक्सिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे होने से विदेशों में बैठे किन्नू के खरीदार इसकी शिकायत दर्ज कराते हैं. उन्होंने कहा कि वैक्सिंग के बजाए हमे किन्नू की पैकिंग के दौरान रंग के हिसाब से ग्रेडिंग पर ज्यादा जोर देना चाहिए. साथ ही मजबूत पेड़ों से काटे गए हेल्दी फलों से लिए गए रूटस्टॉक बीज इस्ते‍माल करने पर जोर दिया. फाइटोफ्थोरा संक्रमण से आगाह करते हुए बताया कि फलों को जमीन के सपंर्क में कम आने दें.

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अमेरिका से आए एक्सपर्ट ने पंजाब के वातावरण को देखते हुए नई साइट्रस किस्मों के साथ कैलिफोर्निया की किस्म इस्तेमाल करने का सुझाव दिया. पैकिंग के दौरान सावधानी बरतने की तकनीक बताई गई. सड़क किनारे स्थित बागों और सड़क के बीच दूसरे घने पेड़ लगाने की सलाह दी गई. किन्नू के बागों का निरीक्षण करने वालों में कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, फ्रेस्नो में कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी कॉलेज के डीन डॉ. रोलस्टन सेंट हिलैरे, सीएसयू, फ्रेस्नो में बागवानी के एसोसिएट प्रोफेसर केवल बसी, कैलिफोर्निया में नींबू वर्गीय फलों के उत्पादक  डॉ. ज़ोरा सिंह, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से बागवानी के प्रोफेसर अमनप्रीत बराड़ आदि मौजूद थे. 

 

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