गन्ना एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है. विषम परिस्थितियां भी गन्ने की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं, इसलिए इसे एक सुरक्षित और लाभकारी खेती माना जाता है. गन्ने की फसल से भरपूर उत्पादन लेने के लिए उन्नत किस्म के बीज का प्रयोग करना जरूरी है. उन्नत किस्मों से 15-20 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त हो सकता है. शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक एडवाइजरी जारी की है. इसके मुताबिक गन्ने की बुआई 15 नवंबर से पहले अवश्य पूरी कर लें. इसके बाद तापमान गिरने पर बोए गए गन्ने का अंकुरण अच्छा नहीं होता है.
फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 12-15 दिनों के अंतर पर सिंचाई करने की भी सलाह दी गई है. बुवाई के 25-30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई जरूर कर लें. अच्छी पैदावार लेने के लिए किस्मों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है. बुवाई के लिए बीज गन्ना क्षेत्र की प्रमाणित पौधशालाओं से ही लें. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को गन्ने की बेहतरीन किस्मों की जानकारी दी है.
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संवर्धित ट्राइकोडर्मा 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 200 किलोग्राम गोबर की खाद या प्रेसमड के साथ मिलाकर नालियों में प्रयोग करें. या फिर संवर्धित ट्राइकोडर्मा मिलाकर प्रेसमड केक 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ना पंक्तियों में डालने से पेड़ी का फुटाव अच्छा होता है.
अच्छी पेड़ी लेने के लिए गन्ने की कटाई सतह से करें, ताकि फुटाव अच्छा हो. गन्ना (पेड़ी) पंक्तियों से सटाकर गहरी जुताई कर रिक्मेंड उर्वरक (200:130:100 किलोग्राम यूरिया, डीएपी एवं पोटाश प्रति हेक्टेयर मात्रा का प्रयोग करें. कटाई के बाद जल्द फुटाव के लिए ठूठों पर इथरेल (12 मिली/100 लीटर पानी) का छिड़काव करें. कटाई के एक सप्ताह बाद खेत में सिंचाई करें.
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