देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की आवक में कमी और दाम में वृद्धि का सिलसिला जारी है. सोलापुर मंडी जहां इसी साल सबसे कम दाम रहता था वहां भी दाम रिकॉर्ड बना है है क्योंकि आवक अब पहले की तरह 50 हजार या एक लाख क्विंटल नहीं रह गई है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 20 जून को यहां सिर्फ 10,382 क्विंटल प्याज बिकने को आया, जिसकी वजह से इस मंडी में अधिकतम दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया, जबकि औसत दाम 2800 रुपये रहा. सोलापुर में वर्तमान सीजन के दौरान पहली बार इतना दाम हुआ है. प्याज का निर्यात खोलने के बाद किसानों को फायदा मिल रहा है और वो चाहते हैं कि अब सरकार दोबारा निर्यातबन्दी न करे.
एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार 20 जून को राज्य की 42 मंडियों में प्याज की नीलामी हुई, जिसमें से सिर्फ 6 में ही प्याज की 10 हजार क्विंटल से अधिक की आवक हुई. इनमें से 26 मंडियां ऐसी रहीं जिनमें किसानों को मिलने वाला थोक दाम 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच में रहा. नागपुर की कामठी मंडी न्यूनतम दाम भी 3000 रुपये रहा. अधिकतम दाम 4000 और औसत 3500 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इतने अच्छे दाम से किसान गदगद हैं, क्योंकि बहुत दिनों बाद उन्हें फायदा कमाने का मौका मिला है.
देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है, जो कुल उत्पादन में लगभग 43 प्रतिशत का योगदान देता है. यहां पर कम दाम से परेशान होकर काफी किसानों ने इसकी खेती कम कर दी है. राष्ट्रीय स्तर पर भी प्याज की खेती कम हुई है. वर्ष 2023-24 में प्याज का उत्पादन (पहला अग्रिम अनुमान) पिछले वर्ष के लगभग 302.08 लाख टन उत्पादन की तुलना में 254.73 लाख टन ही रहने का अनुमान है. इससे दाम बढ़ रहे हैं. दूसरा कारण यह है कि सरकार ने पांच महीने की प्याज निर्यातबन्दी के बाद 4 मई को निर्यात खोल दिया, इससे घरेलू बाजार में आवक कम हो गई और इससे दाम बढ़ने लगे गए हैं.
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