भारतीय खाद्य मंत्रालय जल्द ही एक ऐसी योजना के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेगा, जिससे मक्का किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी मिलेगी, जबकि डिस्टिलरी को इथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल की आपूर्ति बिना रोकटोक के मिलेगी. योजना का खुलासा करते हुए, खाद्य मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि मंत्रियों की समिति ने सैद्धांतिक रूप से इस योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सहकारी संस्थाएं नेफेड और एनसीसीएफ किसानों से सीधे एमएसपी पर मक्का खरीदेंगे.
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने एक मीडिया ब्रीफिंग में योजना का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय उत्पादकता और उत्पादन को मौजूदा 36 मिलियन टन से बढ़ाने की योजना लाने के लिए लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) के साथ काम कर रहा है.
सूत्र ने कहा कि योजना के तहत सहकारी समितियां पहले उन किसानों को पंजीकृत करेंगी जो मक्के की खेती करना चाहते हैं. खास बात यह है कि किसानों को विशेष किस्म के मक्के की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. कहा जा रहा है कि ज्यादातर मक्के की खरीद उन राज्यों में की जाएगी, जहां पर किसानों को एमएसपी भी नहीं मिलता है और वे सस्ते दरों पर अपनी फसल को बेचते हैं. वहीं, सरकार अगले साल से एमएसपी पर 1-2 लाख टन मक्का खरीदने का लक्ष्य रखा है.
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर 2023 के दौरान मक्के की अखिल भारतीय औसत मंडी कीमत 1,951 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो कि इसके एमएसपी कीमत 2,090 रुपये प्रति क्विंटल से 6.7 प्रतिशत कम है. वहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा में मक्का किसानों को एमएसपी से कम दाम मिले थे, लेकिन दिसंबर के पहले सप्ताह के दौरान औसत कीमत बढ़कर 2,038 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.
पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण को प्राप्त करने के लिए, मक्का पर ध्यान केंद्रित करने का लक्ष्य है, क्योंकि मक्का एक कठोर फसल है, जो सूखे का सामना कर सकता है, देश में लगभग 120 अनाज आधारित भट्टियां हैं, जो इथेनॉल बनाने के लिए चावल और मक्के का उपयोग फीडस्टॉक के रूप में करते हैं.
पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने कहा कि हम ईबीपी कार्यक्रम के उस चरण में आ रहे हैं जहां हम मक्के पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे, इसका सीधा सा कारण यह है कि हमारे पास गन्ने की खेती के लिए ज्यादा क्षेत्र नहीं है.
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