चीनी के उत्पादन में आने वाली है गिरावट?, आखिर सरकार ने क्यों लगाई गन्ने से इथेनॉल बनाने पर रोक

चीनी के उत्पादन में आने वाली है गिरावट?, आखिर सरकार ने क्यों लगाई गन्ने से इथेनॉल बनाने पर रोक

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि हम अनुमान लगा रहे थे कि (चीनी) उत्पादन कम होगा, लेकिन हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि यह और नीचे जाएगा. हाल की बारिश ने रिकवरी लेवल को और नीचे गिरा दिया है.

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चीनी के उत्पादन में आने वाली है गिरावट?, आखिर सरकार ने क्यों लगाई गन्ने से इथेनॉल बनाने पर रोकचीनी के उत्पादन में आने वाली है गिरावट

देश में चीनी के बढ़ते दामों के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने चीनी के दामों म को नियंत्रित करने के लिए देश की सभी शुगर मिल्स को निर्देश दिया है कि इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस या सिरप का इस्तेमाल ना करें. भारत सरकार ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस के उपयोग पर प्रतिबंध "एक अस्थायी रोक" है, जिसकी हर महीने समीक्षा की जाएगी. केंद्र ने कहा है कि वह 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह बयान प्रतिबंध लगाए जाने के एक दिन बाद आया है.

हालांकि, कई उद्योग विशेषज्ञों को संदेह है कि क्या प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इस सीजन में 12 प्रतिशत मिश्रण हासिल किया जा सकता है, क्योंकि पिछले साल लगभग 500 करोड़ लीटर के कुल इथेनॉल उत्पादन में गन्ने के रस की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.

कम बारिश से चीनी उत्पादन में कमी

मीडिया को संबोधित करते हुए, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि हम अनुमान लगा रहे थे कि (चीनी) उत्पादन कम होगा, लेकिन हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि यह और नीचे जाएगा. हाल की बारिश ने रिकवरी लेवल को और नीचे गिरा दिया है. महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखा चिंताजनक है, क्योंकि इन दोनों राज्यों में चालू सीजन में चीनी उत्पादन में 20-40 फीसदी की कमी की आशंका है.

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खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश की घरेलू खाद्य सुरक्षा से समझौता न हो. इसे ध्यान में रखते हुए महसूस किया कि गन्ने के रस को इथेनॉल में बदलने से रोकना उचित होगा. चोपड़ा ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इस फैसले से देश के 140 करोड़ लोगों को चीनी की कमी नहीं आएगी.

सरकार के पास है प्लान बी और सी

महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन इस सीजन 105 लीटर से घटकर 85-87 लाख टन (लीटर) होने का अनुमान है और कर्नाटक में यह 60 लीटर से घटकर 35-37 लाख टन हो सकता है. पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने कहा कि वह 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और चीनी पर कमी के कारण गन्ने के रस और चीनी सिरप के उपयोग पर लगाया गया प्रतिबंध एक "अस्थायी रोक" है. उन्होंने कहा कि सरकार के पास बी और सी प्लान भी है जिसमें भारी गुड़, क्षतिग्रस्त चावल और मक्का जैसे विभिन्न स्टॉक के माध्यम से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना है.

WISMA ने कहा 'चौंकाने वाला फैसला'

प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन में वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) ने निर्णय को "चीनी उद्योग के लिए चौंकाने वाली खबर" बताया है, जिसके क्षेत्र पर अपूरणीय परिणाम होंगे और ईबीपी कार्यक्रम के लिए एक झटका होगा.

बिजनेस लाइन से बात करते हुए, WISMA के अध्यक्ष बीबी थोम्बारे ने कहा कि सरकार को अप्रैल 2024 तक गन्ने के रस,सिरप से कम से कम ओएमसी द्वारा सहमत मात्रा में इथेनॉल की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस फैसले के कारण 12 फीसदी मिश्रण भी पूरा करना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि प्रतिबंध नहीं हटाया जाता है, तो गन्ने के रस,सिरप से इथेनॉल के निर्माण पर प्रतिबंध की निलंबित अवधि के लिए ब्याज छूट योजना को बढ़ाया जाना चाहिए.

 
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