रबी फसल के रकबे में 3 प्रतिशत की गिरावट, 8 दिसंबर तक इतने हेक्टेयर में हुई गेहूं, चना, सरसों और मसूर की बुवाई

रबी फसल के रकबे में 3 प्रतिशत की गिरावट, 8 दिसंबर तक इतने हेक्टेयर में हुई गेहूं, चना, सरसों और मसूर की बुवाई

इस साल तिलहन में सरसों की बुवाई अधिक रकबे में हुई है. सरसों का रकबा पहले ही सामान्य क्षेत्रफल 73.06 लाख हेक्टेयर से अधिक होकर 89.18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले के 87.24 लाख हेक्टेयर से 2 प्रतिशत अधिक है. सभी तिलहन रबी का रकबा एक साल पहले के 94.35 लाख से बढ़कर 95.31 लाख हेक्टेयर बताया गया है.

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रबी फसल के रकबे में 3 प्रतिशत की गिरावट, 8 दिसंबर तक इतने हेक्टेयर में हुई गेहूं, चना, सरसों और मसूर की बुवाईरबी फसल की बुवाई में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

फसल सीजन 2023- 24 में 8 दिसंबर तक 515 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में रबी फसल की बुवाई की गई है. खास बात यह है कि रबी फसल का ये रकबा सामान्य क्षेत्र का लगभग 80 प्रतिशत है. हालांकि, इसके बावजूद भी रबी का रकबा एक साल पहले की समान अवधि से 3 प्रतिशत कम है. पिछले साल यानी फसल सीजन 2022-23 में 8 दिसंबर तक 529.82 लाख हेक्टेयर में रबी की बुवाई की गई थी.

पिछले सप्ताह गेहूं की बुवाई में तेजी आई. इससे गेहूं के रकबे में आई गिरावट काफी हद तक तक कम हो गई है.  नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 8 दिसंबर तक 248.94 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई, जो कि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा  251.19 लाख हेक्टेयर था. इस बार गेहूं का रकबा एक साल पहले की समान अवधि से 0.9 प्रतिशत कम है. हालांकि, उत्तर प्रदेश में 3.22 लाख हेक्टेयर और मध्य प्रदेश में 2.88 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में गेहूं की बुवाई की गई है.

इतने हेक्टेयर में दलहन की बुवाई

इसी तरह दलहन के रकबे में भी  गिरावट दर्ज की गई है. इस साल 8 दिसंबर तक 19.16 लाख लाख हेक्टेयर में दलहन की बुवाई की गई. जबकि एक साल पहले इसी समान अवधि में दलहन का रकबा 130.03 लाख हेक्टेयर था. प्रमुख रबी दलहन, चना का बुआई क्षेत्र 90.91 लाख हेक्टेयर से 10 प्रतिशत कम होकर 81.87 लाख हेक्टेयर और मसूर का बुआई क्षेत्र 16.47 लाख हेक्टेयर से 4 प्रतिशत घटकर 15.76 लाख हेक्टेयर रह गया है.

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इसी तरह मोटे अनाजों में बुआई का रकबा 42.35 लाख हेक्टेयर से 2 प्रतिशत कम होकर 41.48 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. ज्वार का रकबा 18.32 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो कि पिछले साल की समाव अवधि से 19.49 लाख हेक्टेयर से 6 प्रतिशत कम हो गया है. इसी तरह मक्के का रकबा पिछले साल के 14.34 लाख हेक्टेयर से 2 प्रतिशत बढ़कर 14.61 लाख हेक्टेयर हो गया है. जौ की बुआई पिछले साल के बराबर है और 7.99 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है.

सबसे अधिक धान की बुवाई तमिलनाडु में 

इस साल तिलहन में सरसों की बुवाई अधिक रकबे में हुई है. सरसों का रकबा पहले ही सामान्य क्षेत्रफल 73.06 लाख हेक्टेयर से अधिक होकर 89.18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले के 87.24 लाख हेक्टेयर से 2 प्रतिशत अधिक है. सभी तिलहन रबी का रकबा एक साल पहले के 94.35 लाख से बढ़कर 95.31 लाख हेक्टेयर बताया गया है. इसमें से मूंगफली की बुआई 72,000 हेक्टेयर कम है. हालांकि, मूंगफली एक ख़रीफ़ फसल है, यह सर्दियों के दौरान लगभग 7 लाख हेक्टेयर में भी उगाई जाती है. इसकी खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में की जाती है. वहीं, रबी धान का रकबा एक साल पहले के 11.9 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 10.74 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया. सबसे अधिक धान की बुवाई तमिलनाडु में दर्ज की गई है.

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