गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों को काबू करने की कोशिश में सरकार जुटी हुई है, ताकि जनता को राहत मिल सके. इसलिए वो ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के जरिए रियायती दर पर गेहूं और चावल दोनों बेच रही है. एक अधिकारी ने दावा किया है कि सरकार ओएमएसएस के माध्यम से गेहूं की कीमतों को नियंत्रण में रखने में सक्षम रही है. क्योंकि बुधवार की ई-नीलामी में बिक्री मूल्य पिछले सप्ताह के समान स्तर पर ही रहे. दावा है कि 16 अगस्त को हुई ई-नीलामी में गेहूं की कीमतों में भारी गिरावट आई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बुधवार को आयोजित ई-नीलामी के नौवें दौर में, 484 डिपो से बिक्री के लिए पेश किए गए 2 लाख टन (एलटी) गेहूं में से 1.54 टन की बिक्री हुई. इसका औसत दाम 2,152.54 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इसी तरह 289 डी-पॉटों से पेश किए गए 3.29 टन चावल में से 10,550 टन बेचा गया.
उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य 2,150 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया था. इसके मुकाबले औसत बिक्री मूल्य 2,166.95 रुपये क्विंटल का औसत था. इसी प्रकार कम विशिष्टताओं (यूआरएस) किस्म के गेहूं का बिक्री मूल्य 2,150.08 प्रति क्विंटल है, जबकि आरक्षित मूल्य 2,125 रुपये क्विंटल रहा. दूसरी ओर चावल का औसत बिक्री मूल्य 3,023.33 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि आरक्षित मूल्य 2,971.34 रुपये क्विंटल तय किया गया था.
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गेहूं के लिए खरीदार को अधिकतम 100 टन और चावल के लिए 1,000 टन की पेशकश करके खुदरा मूल्य को काबू करने की कोशिश की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय छोटे, सीमांत और अंतिम उपयोगकर्ताओं को प्रोत्साहित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अधिक प्रतिभागी आगे आएं और अपनी पसंद के डिपो से गेहूं-चावल की मात्रा के लिए बोली लगाएं. प्रोसेसरों द्वारा खरीदे जाने वाले गेहूं की अधिकतम मात्रा को कम से कम 500 टन प्रति राउंड तक बढ़ाने की मांग के बाद, अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि बाजार में कीमतों में कमी का मकसद वर्तमान नीति से हासिल किया जा रहा है.
सूत्रों का कहना है कि स्टॉक की जमाखोरी से बचने के लिए व्यापारियों को ओएमएसएस (डी) के तहत गेहूं की बिक्री के दायरे से बाहर रखा गया था. एफसीआई से गेहूं खरीदने वाले प्रोसेसरों की आटा मिलों पर नियमित जांच की जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि 28 जून से शुरू हुई साप्ताहिक नीलामी के बाद अब तक कुल 11.27 लाख टन गेहूं बिक चुका है. सरकार का इरादा ओएमएसएस स्कीम के तहत नीलामी के माध्यम से 50 लाख टन गेहूं और 25 लाख टन चावल बेचने का है.
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