Mausami Farming : किसानों के लिए फायदे का सौदा है मौसंबी की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

Mausami Farming : किसानों के लिए फायदे का सौदा है मौसंबी की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

मौसंबी की खेती से भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती का उचित समय सितंबर से अक्तूबर महीने का माना जाता है. यहां जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और कौन सी है सबसे बेहतर किस्म.

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Mausami Farming : किसानों के लिए फायदे का सौदा है मौसंबी की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिएमौसंबी की खेती के बारे में

मौसंबी नींबू वर्गीय फसल है. भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में की जाती है. इसके आलावा इसकी खेती आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यो मे भी मौसंबी की खेती बड़े पैमाने पर होती है. मौसंबी की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते है. क्योकि भारतीय बाजार में मौसंबी की मांग बनी रहती है और दाम भी अच्छा मिलता है.

लोग मौसंबी का जूस रूप में लेना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में किसानों के लिए मौसंबी की खेत फायदे का सौदा साबित हो सकती है. इसकी खेती  सितंबर-अक्तूबर  महीने में की जाती है खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में किसान सही तरीके से मौसंबी की खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. 

मिट्टी और जलवायु 

मौसंबी की खेती सामान्य बनावट वाली दोमट मिट्टी में की जाती है, तथा उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि को भी इसकी खेती के लिए आदर्श माना गया है.इसकी खेती में भूमि 1.5 से 2 मीटर गहराई वाली होनी चाहिए . भूमि की 5 फ़ीट की गहराई तक कड़ी मिट्टी व चट्टानी तल बिल्कुल न हो.  इसके अलावा P.H. मान 5.5 से 7.5 हो. मौसंबी की खेती के लिए गर्मी और सर्दी दोनों ही जलवायु अनुकूल है.

उन्नत किस्में

मौसंबी की अनेक किस्में है, लेकिन व्यवसायिक दृष्टी से मौसंबी की खेती या बागवानी हेतु कुछ ही उन्नतशील और संकर किस्मों को उपयोग में लाया जाता है, जैसे- वाशींगटन नॅव्हेल, जाफा, सतगुडी, कॅलेन्शीया, न्यूसेलर, काटोलगोल्ड आदि प्रमुख है.

खाद् और उर्वरक

मौसंबी यह बहुवर्षीय बागवानी फसल है.अच्छी उपज लेने के लिए नियमीत रूप से खाद और उर्वरक देना चाहिए. जिससे पौधे का विकास अच्छी तरह हो और अच्छी गुणवत्ता के फल प्राप्त हो मौसंबी के पौधे को प्रथम वर्ष 10 किलो गोबर कि खाद, 1 किलो निम कि खाद, नाइट्रोजन 100 ग्राम, फास्फोरस 150 ग्राम, पोटाश 150 ग्राम देना चाहिए.

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मौसंबी के पौधों की सिंचाई 

मौसंबी के खेत में लगाए गए पौधों को स्थिर होने में 2 महीने का समय लग जाता है. मौसंबी के पौधों की नियमित सिंचाई करनी चाहिए. इसकी खेती में ड्रिप सिंचाई का उपयोग करे. ग्रीष्म ऋतु के मौसम में पौधों को 5 से 10 दिन के अंतराल में तथा सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी दे, तथा बारिश के मौसम में जल भराव न हो इसका विशेष ध्यान रखे 

मौसंबी की पैदावार और लाभ 

मौसमी के पेड़ रोपाई के 3 वर्ष बाद पैदावार देना आरम्भ कर देते है, और 5 वर्ष में व्यावसायिक तौर पर उत्पादन देना शुरू कर देते है. मौसंबी के 4 वर्ष के एक पौधे से 20 से 50 KG फल मिल जाते है. इस हिसाब से अगर आपने अपने खेत में 100 पेड़ भी लगाए है, तो आपको 50 क्विंटल की उपज मिल जाएगी, तथा पांचवे वर्ष में उत्पादन और बढ़ जाता है. मौसंबी का बाज़ारी भाव 30 रूपए से 60 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई मौसंबी की एक बार की तुड़ाई से काफी अच्छी कमाई कर लेते है. 

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