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Mango Farming: आमदनी बढ़ा देगी आम की बैगिंग, जमकर होगा एक्सपोर्ट, CISH देती ट्रेनिंग

Mango Farming: आमदनी बढ़ा देगी आम की बैगिंग, जमकर होगा एक्सपोर्ट, CISH देती ट्रेनिंग

आम को निर्यात करने के लिए बेहतर क्वालिटी के साथ ही फल का सही वजन जरूरी है. इसके लिए आम उत्पादकों को बैगिंग करना जरूरी है. बैगिंग के सही तरीके को अपनाने के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ में ट्रेनिंग दी जाती है. यहां पर भारत का सबसे बड़ा पैक हाउस बना हुआ है.

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CISH देती है आम बैगिंग की ट्रेनिंग. CISH देती है आम बैगिंग की ट्रेनिंग.

आम को निर्यात करने के लिए बेहतर क्वालिटी के साथ ही फल का सही वजन जरूरी है. इसके लिए आम उत्पादकों को बैगिंग करना जरूरी है. बैगिंग के सही तरीके को अपनाने के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ में ट्रेनिंग दी जाती है. यहां पर भारत का सबसे बड़ा पैक हाउस बना हुआ है, जहां आम की टेस्टिंग और ट्रीटमेंट भी किया जाता है. एक किलो आम के फल की बैगिंग का खर्च करीब 2 रुपये होता है. अगर उर्वरक और कीटनाशक आदि को मिला दें को तो एक किलो पर यदि 10 रुपये का खर्च आता है तो मुनाफा 20 रुपये से अधिक हासिल किया जा सकता है. 

आम की बैगिंग क्या है और क्यों जरूरी है?

आम या अन्य फलों में बैगिंग से फल में फंगल संक्रमण, मक्खी संक्रमण, कीट से होने वाले नुकसान के साथ ही मौसम के दुष्प्रभाव से बचाव होता है. 'किसान तक' की आम सभा में आम निर्यातक अकरम बेग ने कहा कि आम की फसल की अच्छी कीमत पाने के लिए किसान आम पर बैगिंग जरूर लगाएं. उन्होंने कहा कि एक किलो आम के लिए एक बैगिंग की कीमत 2 रुपये होती है. एक किलो में चार आम चढ़ते हैं. यानी 2 रुपये के खर्च पर चार आम को क्वालिटीयुक्त बनाया जा सकता है. बैगिंग अपनाने से आम का स्वाद, स्किन कलर और साइज बेहतर होता है, जिससे फल एक्सपोर्ट लायक हो जाता है.  

बैगिंग पर 10 रुपये खर्च कर 20 रुपये का मुनाफा 

उन्होंने कहा कि मानक के अनुसार एक्सपोर्ट के लिए एक आम का वजन 250 ग्राम होना चाहिए. अगर बैगिंग पर किसान 10 रुपये खर्च करते हैं तो उस पर सीधा-सीधा 20 रुपये प्रति किलो प्रॉफिट मिल सकता है. आम निर्यात के लिए ही बैगिंग जरूरी नहीं, बल्कि घरेलू बिक्री के लिए भी बैगिंग करनी चाहिए. क्योंकि यह आम की गुणवत्ता को और बेहतर कर देती है. बैगिंग के जरिए किसान 12 पीस आम के साथ 3 किलो की पैकिंग बना लें . उसकी अच्छे से पैकेजिंग करके भारत में ही आम का अच्छा भाव लिया जा सकता है. 

बैगिंग तकनीक से चार गुना ज्यादा कीमत मिलती है

आम के प्रगति शील किसान उपेंद्र सिंह ने कहा कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ छोटे आम किसानों को ट्रेनिंग दे रही है. हम 2016 से CISH से जुड़े हैं. यहां इंटरक्रॉपिंग, मिनिमम पेस्टीसाइड, बैगिंग के तरीके सिखाए जाते हैं. बैगिंग टेकनीक अपनाने से आम की कीमत 4 गुना ज्यादा मिली है. हमने 18-20 रुपये के आम को 150 रुपये किलो में बेचा. CISH में आम की 775 से ज्यादा किस्मों का संरक्षण किया गया है. पुरानी किस्मों को सहेजने के साथ ही नई वैराइटी विकसित की जा रही है. इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है. 

मलिहाबाद में बना है सबसे बड़ा पैक हाउस

अकरम बेग ने कहा कि लखनऊ के मलिहाबाद में मंडी परिषद का पैक हाउस बना हुआ है. इसे 2.5 एकड़ में बनाया गया है और यह भारत का सबसे बड़ा पैक हाउस है. इसकी पैकिंग की क्षमता बेहतर है और यहां के ट्रीटमेंट प्लांट में वीएसटी हॉटवॉटर लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि आम की बेहतर पैदावार के लिए स्टैंडर्ड मानक प्रक्रिया बनानी जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस बार आम की कीमत अच्छी मिलेगी, इस बार आम की कीमत 40 से 50 रुपये प्रति किलो रहेगी. क्योंकि, बाजार खुला हुआ है, विदेश नहीं भेज पाने की स्थिति में किसान घरेलू बाजार बेंगलुरू में भी आम बिक्री सकते हैं. 

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