प्राकृतिक तरीके से उगाई गई मक्का की खरीद एमएसपी से अधिक कीमत पर की जा रही है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से प्राकृतिक खेती के जरिए पैदा की गई मक्का की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन किसानों को केंद्र की ओर से तय मक्का के न्यूनतम समर्थन मूल्य से 775 रुपये अधिक कीमत राज्य सरकार दे रही है. मक्का की बिक्री के लिए बड़ी संख्या में किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
हिमाचल प्रदेश सरकार की घोषणा के तहत एमएसपी से अधिक कीमत पर मक्का की खरीद शुरू कर दी है. केंद्र की ओर से खरीफ सीजन के लिए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2225 रुपये प्रति क्विंटल कीमत तय की गई है. लेकिन, हिमाचल सरकार ने नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक तरीके से उगाई गई मक्का की खरीद पर एमएसपी से 775 रुपये प्रति क्विंटल अधिक दाम देने की घोषणा की है, जिसके तहत 3000 रुपये प्रति क्विंटल कीमत पर मक्का की खरीद 25 अक्तूबर 2024 से शुरू कर दी गई है.
हिमाचल सरकार प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्का खरीदने की प्रक्रिया 25 अक्तूबर शुक्रवार को शुरू हो गई है. एजेंसी के अनुसार पहले दिन सरकार ने 295 किसानों से 528 क्विंटल मक्का की खरीद की है. अधिकांश बिक्री केंद्रों पर मक्का खरीदने की प्रक्रिया दोपहर 12 बजे के बाद ही शुरू हुई. एक अधिकारी ने बताया कि हमीरपुर जिले में 115.67 क्विंटल, सिरमौर में 178 क्विंटल, मंडी में 43.96 क्विंटल, ऊना में 25.08 क्विंटल और सोलन में 45.26 क्विंटल मक्का खरीदा गया है.
राज्य सरकार पहले चरण में किसानों से 508 मीट्रिक टन मक्का खरीदेगी. इसके लिए पूरे प्रदेश में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसानों का चयन किया गया है. प्रत्येक किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्का की खरीद होगी. प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के उपनिदेशक मोहिन्द्र सिंह भवानी ने बताया कि पहले चरण में किसानों से 508 मीट्रिक टन मक्का खरीदा जाएगा तथा पहले दिन 528 क्विंटल मक्का खरीदा गया है.
उपायुक्त अमरजीत सिंह के अनुसार हमीरपुर जिले में 30 रुपये प्रति किलोग्राम (3000 रुपये प्रति क्विंटल) की दर से लगभग 115.67 क्विंटल मक्का खरीदा गया है. उन्होंने किसानों से सामूहिक रूप से खेती करने तथा प्राकृतिक खेती प्रक्रिया का भरपूर लाभ उठाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि खेती में रासायनिक खादों तथा जहरीले कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से कई दिक्कतें सामने आ रही हैं. इसे देखते हुए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रही है.
प्राकृतिक खेती में रासायनिक खादों तथा जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस विधि से उगाई गई फसलें जहां स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित व पौष्टिक होती हैं, वहीं इससे पर्यावरण की भी रक्षा होती है. उपायुक्त ने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने वाला पहला राज्य बन गया है.
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