हरियाणा के किसान इन दिनों अपनी उपज बेचने को लेकर परेशानी में नज़र आ रहे हैं. राज्य के चरखी दादरी मंडी में किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए मुस्किलों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि फसलों की कटाई करें या फिर काम-काज को छोड़कर भूखे-प्यासे अपने वाहनों के साथ लाइनों में खरीद का इंतजार करें. जल्दी सुबह से पहुंचने पर भी मंडी में अपनी सरसों की उपज बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. किसानों का आरोप है कि कहीं चहेतों को टोकन दिये जा रहे हैं तो कहीं बैकडोर से वाहनों की मंडी में एंट्री करवाई जा रही है. लेकिन मंडी में किसानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं, पानी तक खरीदकर पीने को मजबूर होना पड़ रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि मंडी अधिकारियों की तानाशाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.
चरखी दादरी की अनाज मंडी में अपनी सरसों की फसल लेकर पहुंचे किसान अपना दर्द बयान कर रहे हैं. मंडी के दोनों गेटों पर करीब दो-दो किलोमीटर लंबी लाइनों में अपने वाहनों के साथ खरीद का इंतजार कर रहे हैं. कहीं किसान पेड़ों की छांव में बैठे हैं तो कहीं अपने ट्रैक्टरों पर बैठकर वाहन को लाइनों में आगे बढ़ा रहे हैं. मंडी में कोई किसान सुबह दो बजे से तो कोई चार बजे पहुंचे. मंडी में सुविधा न होने पर किसान निराश हैं.
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मंडी में सरकारी रेट पर हो रही खरीद को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है. किसानों ने हरियाणवीं लहजे में कहा कि किसानों की तो खराब माटी कर रखी सै. किसै न भीतर सैटिंग कर राखी सै तो कोये अधिकारियां तैं मिलकैं अपना टोकन ले ज्या सै. हम अपने खेतां मैं गेहूं काटे या फेर न्यू ए बांट देखै जावां. हम तो परेशान होगे, के करां क्यूकर फसल नै बेचां. पाणी तक नहीं मिलता, दुकाना पर खरीद कर पीणा पड़ रहया सै. खरीद के लिए मंडी के बाहर लगी वाहनों की लाइनों की यातायात व्यवस्था संभालने के लिए भी पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी.
मंडी अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि खरीद सीजन के दौरान किसानों की संख्या बढ़ रही है. किसानों के आरोपों के उलट मंडी प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध होने का दावा किया है. पुलिस कर्मचारियों को यातायात व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किया गया है. फिर भी शिड्यूल बनाकर किसानों को बुलाने की व्यवस्था की जा रही है. जानकारी के अभाव में किसानों के वाहनों की संख्या बढ़ रही है.
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