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पोषक तत्वों का भंडार है मोटा अनाज, जानें इसकी खेती का सही तरीका

पोषक तत्वों का भंडार है मोटा अनाज, जानें इसकी खेती का सही तरीका

Millets Farming: मोटे अनाजों में अहम स्थान रखने वाले बाजरा की बुआई का यही है सही वक्त. इसकी बुवाई जून के मध्य में शुरू होती है. मोटे अनाज यानी श्री अन्न फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे की जाती है बाजरा की खेती.

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Millets Farming: कैसे करें बाजरा की खेती Millets Farming: कैसे करें बाजरा की खेती

कोरोना महामारी के बाद लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित रहने लगे हैं. हर कोई अब इस बात को लेकर सजग है कि वह खुद को कैसे फिट और स्वस्थ रखे. ऐसे में लोग पोषक तत्वों से भरपूर खाने की चीजों को अपने आहार में शामिल कर रहे हैं. इसी कड़ी में पोषक तत्वों का भंडार माने जाने वाले मोटे अनाज की खपत लगातार बढ़ती नजर आ रही है. यही नहीं, वर्ष 2023 इंटरनेशनल इयर ऑफ मिल्लेट के रूप में मनाया जा रहा है. लोग मोटे अनाज के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि मोटे अनाजों की खासियत क्या है और इसकी खेती करने का सही तरीका कौन सा है.

बाजरा की बुआई का सही समय अब आ गया है. बाजरा आहार फाइबर, प्रोटीन, विटामिन (जैसे नियासिन, बी विटामिन और विटामिन ई), और खनिज (जैसे कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम और जस्ता) सहित आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है. यह अच्छा पोषण प्रोफ़ाइल प्रदान करते हैं और स्वस्थ आहार में योगदान कर सकते हैं. बाजरा फाइबर का एक उच्च स्रोत है. फाइबर पाचन में सहायता करता है, और आंत के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है. अपने आहार में बाजरा शामिल करना पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.

बाजरा की खेती और उससे होने वाले फायदे

इतना ही नहीं बाजरा का सेवन करने से कब्ज, सूजन और पेट की अन्य समस्या की जोखिम को कम कर सकता है. ऐसे में जरूरी है कि बाजरा कि खेती को और अधिक से अधिक बढ़ाया जाए ताकि बढ़ती मांग को आसानी से पूरा किया जा सके. इसके लिए यह भी जरूरी है कि किसानों के पास बाजरा कि खेती की सही जानकारी हो. तो आइए जानते हैं कैसे सही तरीके से करें बाजरा की खेती.

बाजरा की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी

बाजरा की खेती के लिए 6 से 7 की पीएच रेंज वाली अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त है. बुवाई से पहले खेतों में लगे खरपतवार को साफ करने की जरूरत होती है. साथ ही जुताई और हैरोइंग कर मिट्टी को ढीला करने और बुवाई के लिए उपयुक्त बनाने के लिए की जाती है.

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करें सही बीज का चयन

खेतों को तैयार करने के बाद अब बारी है बुवाई करने की. ऐसे में बीजों का सही चयन बेहद जरूरी होता है. फसल से अधिक उपज के साथ उच्च गुणवत्ता के लिए जरूरी है कि किसान सही बीजों का चयन करें. इसके लिए किसान भरोसेमंद ब्रांड या केवीके से संपर्क कर सकते हैं.

सही तरीके से करें बुवाई

बाजरे की बुवाई या तो छिटक कर या सीधी लाइन बुआई विधि से की जा सकती है. बुवाई करते समय यह ध्यान रहे कि पूरे खेत में सामान्य रूप से बुवाई की जाए ताकि फसल को सही मात्रा में मिट्टी से पोषण मिल सके. पंक्तिबद्ध बुवाई में खांचे या कतारें बनाना और बीजों को नियमित अंतराल पर बोएं. बुवाई का समय बाजरे की किस्म और क्षेत्र की जलवायु पर निर्भर करता है.

फसल में सिंचाई का सही तरीका

बाजरा की फसल को आम तौर पर कम पानी की जरूरत होती है. लेकिन फसल के विकास के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान कुछ सिंचाई की आवश्यकता होती है. पानी की आवश्यकता बाजरे की किस्म और क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है. अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे पौधों का गिरना और उपज का नुकसान हो सकता है.

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवारों की प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई आवश्यक है, खासकर पौध के प्रारंभिक चरण में. मैनुअल निराई या उपयुक्त शाकनाशियों के उपयोग से खरपतवारों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है.

मिट्टी की जांच कर लें

अपनी बाजरे की फसल की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए मिट्टी की जांच करें. परिणामों के आधार पर, फसल में जरूरी पोषण को पूरा करें. पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए जैविक खाद या अकार्बनिक उर्वरकों का प्रयोग करें. आम तौर पर, बुवाई से पहले अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालना फायदेमंद होता है.

कीट और रोग का प्रबंधन कैसे करें

बाजरा अन्य फसलों की तुलना में कीटों और रोगों के लिए अपेक्षाकृत प्रतिरोधी है. हालांकि, पक्षियों और कीड़ों जैसे सामान्य कीट नुकसान पहुंचा सकते हैं. फसल की नियमित निगरानी करें और यदि आवश्यक हो तो बिजूका, जाल या जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें.

फसलों की कटाई

बाजरा की कटाई तब की जाती है जब अनाज पूरी तरह से पक कर सूख जाता है. जब दाने सख्त हो जाते हैं और नमी की मात्रा कम हो जाती है तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. कटाई आम तौर पर जमीन के करीब पौधों को दरांती से काटकर या मैकेनिकल हार्वेस्टर का उपयोग करके की जाती है.