भारतीय बासमती चावल की सुगंध अब विदेशों में फैल रही है.भारत से बासमती चावल चीन, अमेरिका, खाड़ी समेत दुनिया के लगभग 125 देशों में निर्यात किया जाता है. कुल मिलाकर दुनियाभर में भारतीय बासमती चावल की मांग तेजी से बढ़ रही है. साल 2022-23 में भारत से 38524 करोड़ रुपये मूल्य का 45.6 लाख मीट्रिक टन चावल विदेश भेजा गया. इसके साथ ही अपने देश में भी बासमती चावल की डिमांड बढ़ने लगी है. ऐसे में सामान्य धान की तुलना में बासमती धान का दाम दोगुना किसानों को मिल रहा है. इसी वजह से बासमती धान का एरिया हर साल 10 फीसदी तक बढ़ रहा है. किसान तक की खरीफनामा सीरीज की इस कड़ी में बासमती धान पर पूरी रिपोर्ट, जिसमें किसान जान सकेंगे कि वह बासमती धान की कौन सी किस्म का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी हो.
बासमती एक्सपोर्ट विकास प्रतिष्ठान मेरठ एपिडा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ रितेश शर्मा ने किसान तक से बातचीत में कहा कि अपने देश में बासमती धान की 45 किस्मों को अधिसूचित किया गया है. गुणवत्ता के आधार पर तरावडी बासमती टाइप 3 बासमती 370, रणवीर बासमती और पारम्परिक किस्में हैं. इन किस्मों की उपज क्षमता तो कम है, लेकिन उच्च गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में अधिक मूल्य मिलता है. इन किस्मों में खाद एवं पानी की आवश्यकता भी कम होती है. इनके अलावा बासमती धान की पूसा बासमती-1121, हरियाणा बासमती-1, बल्लभ बासमती-22, बल्लभ बासमती-23, वत्सम बासमती-24, उन्नत पूसा बासमती-1, पूसा बासनी-6, पूसा बासमती-1509, पूसा बासमती-1609, पूसा बासमती-1637, पूसा बासमती-1718 पूसा बासमती-1728 प्रमुख बासमती धान की किस्में हैं.
इसके आलावा पंजाब हरियाणा के लिए पंजाब बासमती-2, पंजाब बासमती-3 मालवीय बासमती 10-9, पंजाब बासमती-4, हरियाणा बासमती -2 किस्में विकसित की गई है, जिनकी उपज अपेक्षाकृत अधिक है. डॉ रितेश शर्मा ने बताया की बासमती धान की खेती में किसानों को खेती में नर्सरी से लेकर कटाई तक कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देते हैं तो बेहतर क्वालिटी के अच्छी पैदावार बासमती धान की ले सकते हैं. धान के लिए किस्म के अनुसार 15 से 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है.
किसान तक से बातचीत में डॉ रितेश शर्मा ने कहा कि बासमती धान की नर्सरी बुवाई से पहले खेत को लेजर लेवलर द्वारा समतल अवश्य कराएं और सम्भव हो तो छोटी-छोटी क्यारियां बना लें. बासमती के बीज सदैव प्रमाणित संस्था या अनुसंधान केन्द्र से ही खरीदें. उन्होंने कहा कि बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान, मोदीपुरम मेरठ भी उच्च गुणवत्ता युक्त बासमती बीज उपलब्ध कराता है.उन्होंने कहा नर्सरी में बीज बुवाई से पहले बीज का शुद्धीकरण जरूर करें. इसके लिए एक टब या बाल्टी में एक व 10 लीटर पानी का घोल बनाकर उसमें बीज को धीरे-धीरे छोडे़. ऐसा करने से हल्के बीज पानी की सतह पर तैरने लगते हैंं, इन बीजों को निकाल कर अलग कर देना चाहिए. अच्छे बीजों को पानी में दो बार अवश्य धोएं. बीज शोधन के लिए 20 ग्राम कार्बेडाजिम और एक ग्राम स्ट्रप्टोसाइक्लीन से 10 किलो बीज उपचारित करें.
इसके बाद जूट के बैग में अथवा ढ़ेर बनाकर छायादार स्थान पर अंकुरित होने के लिए 24 घंटे के लिए छायादार स्थान पर रख दें. इसके धान की बीज एक समान अंकुरित होता है.
किसान तक से बातचीत में डॉ रितेश शर्मा ने बताया कि एक किलोग्राम बीज को बोने के लिए कम से कम 25 वर्ग मीटर क्षेत्र जरूरत होती है. नर्सरी की क्यारियां अच्छी तरह से समतल होनी चाहिए. नर्सरी क्षेत्र में अन्तिम पंडलिग से ठीक पहले नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक एवं आयरन की सन्तुलित मात्रा प्रयोग करना चाहिए. इसके बाद अंकुरित बीजों को शाम के समय एक सामान रूप से छिटक कर बोना चाहिए. बीज छिटकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए की नर्सरी में 2-3 सेंटीमीटर पानी जरूर भरा रहें . नर्सरी खरपतवार से मुक्त होना चाहिए एवं पानी का स्तर धीरे-धीरे बढाना चाहिए. नर्सरी पौध को हमेशा पानी भर कर ही उखाड़ना चाहिए. .
प्रधान वैज्ञानिक डॉ रितेश शर्मा ने सुझाव दिया कि जब नर्सरी पौध 20 से 25 दिन की पौध की हो जाय तो रोपाई के लिए का ही प्रयोग करना चाहिए. नर्सरी पौध को हमेशा पानी भर कर ही उखाड़ना चाहिए. जिससे कि पौधे को उखाड़ते समय नसकी जड़ टूटे नही . पूसा बासमती 1509 की नर्सरी पौध 18-22 दिन होने पर रोपाई कर देनी चाहिए. पौध को उपचारित करने के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा या हरजेनियम प्रति लीटर पानी की दर के घोल में कम से कम 1 घंटे के लिए पौधे की जड़ को डूबो कर उपचारित कर लेना चाहिए..रोपाई से पहले पौध का ऊपरी भाग लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर तोड़कर कर रोपाई करना चाहिए.
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