बिहार के ऐसे मजदूर जो खेती के कामों से जुड़े हैं, इस समय तेलंगाना में अच्छी कमाई कर रहे हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो बिहार से आने वाले मजदूरों के लिए तेलंगाना के कई हिस्से खरीफ और रबी सीजन के दौरान खेतों में काम करके पैसा कमाने के बड़े केंद्र के तौर पर उभर रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये मजदूर सीजन के दौरान एक लाख रुपये तक कमा रहे हैं. पैसे कमाने के बाद ये वापस अपने गांव लौट आते हैं. इन मजदूरों के बारे में हर तरफ चर्चा है और राज्य की मीडिया भी इनके बारे में लिख रही है.
डेक्कन क्रॉनिकल की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं समेत बिहार के मजदूर पिछले तीन सालों से हर फसल सीजन के दौरान 50,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. राज्य में खेती का काम पूरा होने के बाद अपने पैतृक गांवों की तरफ लौट जाते हैं. तेलंगाना में खेती करने वाले मजदूर और किसान अच्छी इनकम की आस में खाड़ी देशों का रुख कर रहे हैं. ऐसे में बिहार के कुशल मजदूर के लिए तेलंगाना में मांग बढ़ती जा रही है. अब इन मजदूरों का इसका फायदा मिल रहा है और ये खेतों में काम करके अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं.
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अधिकारियों की मानें तो कृषि विभाग पहले कुशल कृषि मजदूरों की भारी कमी के कारण राज्य के किसानों को मशीनीकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहता था. लेकिन जब बिहार के लोगों ने तेलंगाना में अपनी सेवाएं देनी शुरू कीं तो पूरी तरह से मशीनीकरण का ख्याल भी दिमाग से चला गया. जब से इन मजदूरों ने राज्य में काम करना शुरू किया है तब से ही खेतिहर मजदूरों की कमी पूरी तरह से दूर हो गई है.
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कृषि विभाग के अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा है कि हर फसल सीजन में बिहार का हर किसान 4000 रुपये प्रति एकड़ तक कमा रहा है. चूंकि वे रोपाई के काम में माहिर हैं इसलिए ये किसान एक गांव में काम जल्दी पूरा कर लेते हैं. फिर दूसरे गांव में भी यही काम आसानी से निपटा लेते हैं. इस वजह से एक सीजन में एक लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है.
निजामाबाद जिला कृषि अधिकारी वाजिद हुसैन ने बताया कि 15 से ज्यादा ज्यादा सदस्यों वाला बिहार के खेतिहर मजदूर का समूह दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ ही राज्य में पहुंच जाता है. इसके बाद ये मजदूर धान की खेती से जुड़ी रोपाई का काम शुरू कर देते हैं. एक रसोईया इन मजदूरों के हर समूह की सेवा में रहता है और इनके लिए खाना बनाता है. वहीं गांव के बुजुर्ग उन्हें रहने के घर मुहैया कराते हैं. इसी तरह, वे दूसरे गांवों में जाकर अपना काम जारी रखेंगे.
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राज्य में 5.50 लाख एकड़ कृषि भूमि में से 4.3 लाख एकड़ में धान की रोपाई का काम पहले ही तेज हो चुका है. जबकि शेष 1.2 लाख एकड़ में मक्का, सोयाबीन और हल्दी की फसलें उगाई जा रही हैं. खरीफ की फसल पूरी होने के बाद ये मजदूर रबी के कामों में शामिल होने के लिए अक्टूबर-नवंबर में फिर से तेलंगाना लौट आएंगे.
हुसैन ने कहा कि ये मजदूर हर मौसम में 50 दिनों से ज्यादा काम करेंगे और बिहार वापस चले जाएंगे. निजामाबाद के अलावा, ये मजदूर पूर्ववर्ती आदिलाबाद, करीमनगर और नलगोंडा जिलों के कुछ हिस्सों में काम कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना था कि बिहार के कृषि मजदूरों की उपलब्धता विभाग के लिए बड़ी राहत लेकर आई है. इसे स्थानीय स्तर पर कुशल मजदूरों की व्यवस्था करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था.
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