लगातार बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश की स्थिति बेहद खराब कर दी है. यहां के किसान खासतौर पर सेब के किसानों को इस बार बड़े नुकसान की चिंता सताने लगी थी. लेकिन इन सबके बीच एक अच्छी खबर आई है. अच्छी खबर यह है कि 27 जून से 15 सितंबर तक खराब मौसम और बारिश के बावजूद बाजार में हिमाचल के रिकॉर्ड सेब पहुंचे हैं. हिमाचल प्रदेश हॉर्टीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीएमसी) की तरफ से यह जानकारी दी गई है.
पूरे हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की बारिश की वजह से सड़कें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं. इस वजह से आशंका थी कि सेब के किसानों को इस बार शायद वह मुनाफा न हो सके जो उन्हें हर सीजन में होता था. मगर एचपीएमसी की दी हुई जानकारी पर अगर यकीन करें तो अलग-अलग बाजारों से उसने कुल 1,73,74,204 सेब के बॉक्स खरीदे हैं. हर बॉक्स में 20 किलो सेब होते हैं. यह आंकड़ा इसलिए भी अहम हो जाता है कि जब पिछले साल इसी सीजन में मौसम इतना खराब नहीं था तो खरीद कम थी. पिछले साल एचपीएमसी की तरफ से किसानों से 1,23,18,924 बॉक्स खरीदे गए थे.
एचपीएमसी की तरफ से एक प्रेस रिलीज के जरिये बताया गया है कि यह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की निरंतर निगरानी और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की कोशिशों से संभव हो सका है. विज्ञप्ति के अनुसार एचपीएमसी के माध्यम से सेब की खरीद 55,000 मीट्रिक टन को पार कर गई है और यह पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है. इसे आसान बनाने के लिए एचपीएमसी ने 274 कलेक्शन सेंटर स्थापित किए हैं जहां सेब की खरीद सक्रिय तौर पर चल रही है.
सेबों की सुचारू ढुलाई सुनिश्चित करने के लिए क्षतिग्रस्त सड़कों को रिकॉर्ड समय में या तो बहाल कर दिया गया या अस्थायी रूप से फिर से जोड़ दिया गया. यहां तक कि बहुत ज्यादा नुकसान के समय में भी सरकारी मशीनरी सेब उत्पादकों की सुविधा के लिए चौबीसों घंटे काम करती रही. एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि शिमला और किन्नौर एपीएमसी से 1,09,86,863 पेटियां बेची गईं, जबकि पिछले साल 77,40,164 पेटियां बेची गई थीं. मंडी एपीएमसी से 16,81,055 पेटियां बेची गईं, जबकि पिछले साल 89,19,893 पेटियां बेची गई थीं. इसी तरह से सोलन एपीएमसी ने 22,18,685 पेटियों के मुकाबले 24,90,835 पेटियों की बिक्री दर्ज की जबकि कुल्लू एपीएमसी ने 2024 में 14,03,392 पेटियों की तुलना में 20,88,374 पेटियां दर्ज कीं.
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सरकार सेबों के बेहतर ट्रांसपोर्टेशन और खरीद सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि बागवानों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े. विज्ञप्ति के अनुसार राज्य सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के तहत बागवानों को फायदे भी पहुंचाए हैं. हालांकि, कई इलाकों में सड़कें बंद होने के कारण ट्रक अभी भी कुछ केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सेबों का समय पर उठान सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त ट्रकों की तैनाती के निर्देश दिए हैं.
इस बीच, पराला (शिमला), परवाणू (सोलन) और जरोल (मंडी) स्थित एचपीएमसी के प्रोसेसिंग प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं और प्रतिदिन लगभग 400 टन सेबों की प्रोसेसिंग की जा रही है. खराब मौसम के बावजूद, राज्य सरकार सेब बागवानों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि उन्हें हर वित्तीय मदद हासिल हो सके. सीएम सुक्खू ने कहा, 'राज्य सरकार सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमने लाभकारी मूल्यों की गारंटी देने और बागवानों के शोषण को खत्म करने के लिए यूनिवर्सल कार्टन की शुरुआत की है.'
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