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हमीरपुर में जर्मनी के फूल की खेती! किसान ने बताया महीने में लाखों कमाई का फंडा

हमीरपुर में जर्मनी के फूल की खेती! किसान ने बताया महीने में लाखों कमाई का फंडा

चिल्ली गांव के रहने वाले किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि हम अभी एक बीघे में ब्लूकॉन फूल की खेती कर रहे हैं, जबकि मेरे भाई राजन सिंह दो बीघे में इसकी खेती करते हैं.

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हमीरपुर जिले के चिल्ली गांव के रहने वाले किसान रघुवीर सिंह (Photo-Kisan Tak) हमीरपुर जिले के चिल्ली गांव के रहने वाले किसान रघुवीर सिंह (Photo-Kisan Tak)

Hamipur News: बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में किसान अब ब्लूकॉन फूल (Blue Cornflower) की खेती कर रहे हैं. यह एक तरह का विदेशी फूल है. इसकी खेती सिर्फ जर्मनी में की जाती है. हमीरपुर जिले के चिल्ली गांव के रहने वाले किसान रघुवीर सिंह और राजन सिंह आज  ब्लूकॉन फूल की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं. किसान तक से बातचीत में रघुवीर सिंह ने बताया कि इन फूलों की भारत में काफी डिमांड है. इस फसल की बुवाई पहली बार वर्ष 2023 अक्टूबर-नवंबर माह में नर्सरी डाली थी. उन्होंने बताया कि एक एकड़ जमीन पर पिछले साल ब्लूकॉर्न के फूलों की खेती कराई, जिसमें दो लाख रुपये तक का मुनाफा हुआ था.  इस फूल की खासित है कि इसे सिंचाई के लिए पानी की बहुत कम जरूरत पड़ती है. यानि इसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में भी उगाया जा सकता है. यही वजह है कि जर्मनी के सूखे इलाके में ब्लूकॉन को उगाया जाता है.

जानिए 1 महीने में लाखों कमाने का फंडा

चिल्ली गांव के रहने वाले किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि हम अभी एक बीघे में ब्लूकॉन फूल की खेती कर रहे हैं, जबकि मेरे भाई राजन सिंह दो बीघे में इसकी खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि अगर आप एक बीघे में ब्लूकॉन खेती करते हैं, तो आप रोज 15 किलो तक फूल तोड़ सकते हैं.

ब्लूकॉन फूल का बीज
ब्लूकॉन फूल का बीज

यानि कि आप एक बीघे जमीन से रोज 30 हजार रुपये की कमाई कर सकते हैं. इस तरह एक महीने में फूल बेचकर 9 लाख रुपये कमाई कर सकते हैं. बाजार में ब्लूकॉन का फूल 1500 रुपए प्रति किलो के रेट से बिक जाता है. ब्लूकॉन के फूलों का प्रयोग दर्द निवारक दवाओं और शादी समारोह आदि में सजावट के लिए किया जाता है.

रोजाना 2 क्विंटल फूलों की कटाई

रघुवीर सिंह ने आगे बताया कि एक बीघे में 30 से 35 हजार रुपये के बीच लागत आती है, सबसे खास बात है कि अगर आप एक दिन में एक फूल तोड़ते है तो 4-5 फूल फौरन निकल जाते है. 2 क्विंटल के करीब फूल निकलता है,जो सूखने के बाद 12 से 15 किलो हो जाता है.वहीं फूल सुखाकर भी कंपनियों को बेचा जाता है.

ब्लूकॉन के फूल को दवा कंपनियां हाथों हाथ खरीद लेती हैं.
ब्लूकॉन के फूल को दवा कंपनियां हाथों हाथ खरीद लेती हैं.

उन्होंने बताया कि बरेली और महाराष्ट्र तक इन फूलों की सप्लाई होती है. इन फूलों में एक खास तरह की गंध होती है. इस वजह से अन्ना जानवर भी खेत में नहीं घुसते हैं और फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहती हैं. 

लागत कम और अधिक मुनाफा

रघुवीर बताते हैं कि ब्लूकॉन फूल की कटाई फूलों के पूर्ण रूप से खिलने के बाद की जाती है. फिर उन्हें सुखाने के बाद उनका उपयोग किया जा सकता है. ब्लूकॉन फूल की खेती के बाद, बीजों की पुनः बुआई की जा सकती है, ताकि अगले सीजन में भी फूल पैदा हो सकें. उन्होंने बताया कि खेतों में रोपाई के बाद ब्लूकॉर्न के फूल तीन माह में ही खिलने लगते हैं. इसका फूल नीले रंग का खिलता है. कुछ महीने बाद फूलों की तोड़ाई कराकर इसे सुखाया जाता है. इसके बाद इसे बोरियों में भरकर इसे कंपनियों में बेच दिया जाता है. ब्लूकॉर्न की खेती में लागत बहुत ही कम आती है. इस लिहाज से आमदनी परंरागत खेती से कई गुना अधिक होती है. आपको बता दें कि वर्तमान समय में हमीरपुर जिले में 7-8 किसान ब्लूकॉन फूल की खेती कर रहे है.