जब भी सुगंधित चावल की बात होती है, तो लोगों के जेहन में बासमती का नाम उभर कर सामने आता है. लोगों को लगता है कि बासमती की तरह सुगंधित दूसरा कोई चावल नहीं है. लेकिन ऐसी बात नहीं है. मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में किसान धान की ऐसी किस्म की खेती करते हैं, जिसकी खुशबू बासमती से कम नहीं है. धान की यह किस्म अपने स्वाद और सुगंध के लिए ही जानी जाती है. खास बात यह है कि इस किस्म का नाम चिन्नौर है. इसे जीआई टैक भी मिला हुआ है.
अगर चिन्नौर धान की खासियत के बारे में बात करें, तो इसका चावल बहुत खुशबूदार होता है. इसकी गिनती दुनिया की बेहतरीन धान की किस्मों में होती है. खास बात यह है कि चिन्नौर किस्म की फसल रोपाई के बाद 160 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. यानी 160 दिनों के बाद इसकी कटाई की जा सकती है. इसके धान के पौधों की लंबाई 150 सेमी तक होती है. इसका उत्पादन प्रति एकड़ 7 से 8 क्विंटल है. कीमत 100 रुपये प्रति किलो से भी अधिक है.
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कृषि विशेषज्ञों की माने तो धान को सुगंध के लिए वैज्ञानिक तौर पर तीन श्रेणी में बांटा गया है. निम्न, मध्यम और तीव्र सुगंध वाले धान होते हैं. चिन्नौर को तीव्र सुगंध वाली किस्म में शामिल किया गया है. ऐसे धानों में राइस ब्रान की मात्रा 17-18 प्रतिशत होती है, जबकि चिन्नौर में 20-21 प्रतिशत होती है. साथ ही चिन्नौर के चावल की खासियत इसकी महक और उमदा स्वाद है. इसके चावल को पानी भीगोने पर ही खुशबू आने लगती है. पकाने के बाद यह खाने में हल्का मीठा लगता है. यही वजह है कि किन्नौर स्वाद के साथ-साथ अपनी खुशबू के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है.
वहीं, जीआई टैक मिलने के बाद मध्य प्रदेश सरकार भी इस किस्म को बढ़ावा दे रही है. वह एक जिला एक उत्पाद में शामिल कर प्रमोट कर रही है. अभी जिले के 25 से अधिक गांवों के किसान इसकी खेती कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि चिनौर चाल का खीर बहुत ही टेस्टी बनता है. यह खाने में भी सुपाच्य होता है. इसलिए इसे लोग खूब पसंद से खाते हैं. जानकरों का कहना है कि अगर आपको ओरिजनल चिन्नौर चावल की पहचान करना है तो उसके 5 से 6 दाने अच्छे से चबाकर खा लो तो उसका स्वाद लंबे समय तक मुंह में बना रहता है.
दरअसल, साल 2019 में कृषि विभाग बालाघाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, हैदराबाद में चिन्नौर को जीआइ टैग देने की मांग की थी. तब महाराष्ट्र ने भी जीआइ टैग का अपना दावा ठोका था. लेकिन परिषद ने मध्य प्रदेश के चिन्नौर को ही जीआइ-टैग की अनुमति दी.
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