Green Fodder: ऐसे करें बरसीम की बुआई, मई तक पशुओं के लिए मिलता रहेगा चारा

Green Fodder: ऐसे करें बरसीम की बुआई, मई तक पशुओं के लिए मिलता रहेगा चारा

पशुओं को हरा चारा बहुत पसंद होता है. ऐसे में कई बार किसानों को बाजार से भी हरा चारा लाकर पशुओं को ख‍िलाना पड़ता है, जिसका असर उनकी जेब पर पड़ता है. ऐसे में अगर आप अपने खेत में ही चारा उगाने की बात सोच रहें हैं तो सि‍तंबर के आखिरी हफ्ते से लेकर अक्‍टूबर तक बरसीम चारा की फसल बो सकते हैं.

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Green Fodder: ऐसे करें बरसीम की बुआई, मई तक पशुओं के लिए मिलता रहेगा चाराबरसीम की खेती. (फाइल फोटो)

बरसीम रबी सीजन में बोई जाने वाली एक प्रमुखचारा फसल है. यह फलीदार दार होती है, जो दलहन फसल की श्रेणी में आती है. बरसीम को चारा फसल का राजा कहा जाता है. बरसीम की बुआई सितंबर के आखिरी हफ्ते से लेकर अक्‍टूबर तक की जाती है. हालांकि, इसे नवम्बर के पहले पखवाड़े तक भी बोया जा सकता है, लेकिन नवंबर में बोने पर एक से दो कटाई घट सकती है. आमतौर पर बरसीम की फसल से नवबंर से लेकर मई के बीच 4 से 8 कटाई निकाली जा सकती है.

पशुओं को काफी पसंद आता है बरसीम चारा

बरसीम हरा चारा दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक और रसीला होता है. इसके पौधे में शुष्क पदार्थ की पाचनशीलता 70% और 21% तक प्रोटीन की मात्रा होती है. यही वजह है कि इसे ख‍िलाना पशु के स्वास्‍थ्‍य के लिए काफी अच्‍छा होता है. साथ ही इससे गाय और भैंस के दूध में वृद्धि होती है. इस वजह से बरसीम चारे की मांग मार्केट में बनी रहती है. ऐसे में किसान इसे उगाकर अपने पशुओं को ख‍िलाने के अलावा इसे बेचकर मुनाफा भी कमा सकते हैं. पशु यह चारा बड़े ही चाव के साथ खाते हैं.

मिट्टी को लेकर बरतें सावधानी

बरसीम की खेती के लिए क्षारीय, बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्‍त होती है. ध्‍यान रखें कि मिट्टी का P.H. मान 7 से 8 बीच हो. इसकी खेती ठंडी और मध्यम ठंडी जलवायु में ठीक तरह से होती है. बरसीम की बुआई के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती होती है. खेत की एक जुताई डिस्‍क हल से और 2 से 3 जुताई डिस्‍क हैराे से करनी चाहिए. इसके बाद खेत को समतल करना चाहिए, ताकि पानी न भरे. बीज उत्‍पादन के लिए इसकी बुआई दो विध‍ियों से की जाती है. पहली है सूखी विध‍ि और दूसरी है गीली विध‍ि. जानिए इनके बारे में.

सूखी विधि‍- इस विध‍ि में सीड ड्रिल की मदद से बरसीम के बीजों को बोया जाता है, बाद में पाटा की मदद से उन पर मिट्टी डालने के बाद खेती की सिंचाई की जाती है. 

गीली विधि‍- वहीं, गीली विध‍ि का उपयोग सिंचाई वाले इलाकों में किया जाता है. इसमें चार मीटर चौड़ाई और 50 से 60 मीटर लंबाई की सुविधा के हिसाब से क्‍यारी तैयारी की जाती है. बाद में रातभर भ‍िगोकर रखे गए बीजों को बीजोपचार के बाद हाथ से इन क्‍यारियों में छिड़का जाता है. 

बरसीम की वैरायटी

आजकल बाजार में बरसीम की कई उन्नत किस्में उपलब्‍ध हैं, जिन्‍हें आसानी से उगाया जा सकता है. वरदान, पूसा जायंट, बी एल 1, पूसा ज्वाइंट, टी० 560, टी० 724, टी० 780, टी० 526 और टी० 678 आदि‍ बरसीम की किस्‍मों को ज्‍यादातर किसान उगाना पसंद करते हैं. 

बीज दर

एक हेक्टेयर भूमि में बरसीम की बुआई के लिए 25 से 35 किलोग्राम बीज की आवश्‍यकता होती है. इसके बीज की मात्रा बीज के आकर के चलते कम या ज्‍यादा हो सकती है. बता दें कि बरसीम की देशी वै‍रायटी के बीज छोटे होते है, जिसकी बीज दर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है. वहीं चतुर्गुणित वैरायटी के बीज आकार में बड़े होते है, जिसके चलते इनकी बीज दर 30-35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है.

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