बाजार में गेहूं की कीमतों को नीचे लाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ई-नीलामी करने की घोषणा की है. इस ई-नीलामी के जरिए कई राज्यों के मिलर्स एफसीआई से गेहूं की खरीद करेंगे. एफसीआई को यह आशंका सता रही थी कि मिलर्स के पास पहले से गेहूं का अतिरिक्त स्टॉक बचा होगा और वे फिर से गेहूं की खरीद करेंगे तो कीमतों को नीचे लाने का उद्देश्य प्रभावित होगा. ऐसे में एफसीआई ने उन मिलर्स को ई-नीलामी से बाहर रखने का फैसला किया है जिनके पास पहले से स्टॉक मौजूद है. कहा जा रहा है कि एफसीआई ने इन नए मानकों के जरिए मिलर्स के तिकड़म से बचने का रास्ता खोज निकाला है. वहीं, दूसरी ओर मिलर्स एफसीआई के नए मानकों से नाराज हैं.
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बीते सप्ताह कहा है कि खुले बाजार में गेहूं की कीमत को नियंत्रित करने के लिए ओपेन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) 2024 के तहत गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए ई-नीलामी की जाएगी. भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के जरिए पहली साप्ताहिक ई-नीलामी 4 दिसंबर को 1 लाख टन के लिए होगी. नीलामी में कर्नाटक, बिहार, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र के लिए 5-5 हजार टन की मात्रा शामिल है. अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश के लिए 14,000 टन, पंजाब में 12,500 टन, पश्चिम बंगाल में 7,000 टन, असम में 6,500 टन, दिल्ली में 5,500 टन, मध्य प्रदेश में 4,000 टन और झारखंड तथा तमिलनाडु में 3,000-3,000 टन गेहूं भेजने की योजना है.
भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई ने गेहूं की ई-नीलामी के लिए नए नियम लागू किए हैं, ताकि मिलर्स के पास ‘अतिरिक्त’ स्टॉक न बचे. नए मानकों का उद्देश्य उन प्रॉसेसिंग यूनिट को नीलामी प्रक्रिया से बाहर रखना है, जिनके पास अतिरिक्त स्टॉक है. इन नए मानक से कुछ मिलर्स में नाराजगी है. मिलर्स ने इन शर्तों को कुछ निजी प्लेयर्स के लिए खुले बाजार में खरीद न करने के लिए रिवॉर्ड बताया है. सू्त्रों के हवाले से कहा गया है कि एफसीआई के पास स्टॉक बहुत अधिक नहीं है और ओपेन मार्केट सेल को कम से कम फरवरी के अंत तक जारी रखना है. इसलिए राज्य में अनुमानित जरूरत के अनुसार गेहूं की मात्रा की पेशकश की गई है और यह पक्का करने के लिए कि खरीदे गए गेहूं का इस्तेमाल व्यापार के लिए न किया जा सके.
आटा मिलिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि गेहूं की पर्याप्त उपलबधता बनी हुई है, सवाल केवल बढ़ी कीमत का है. अब मिल मालिकों को यह तय करना है कि वे गेहूं खरीदें या नहीं. कहा गया कि एफसीआई के नए मानक यह बता रहे हैं कि सरकार उन मिलर्स को फायदा देना चाहती है जिन्होंने अपनी प्रॉसेसिंग जरूरत के लिए पहले से गेहूं की व्यवस्था नहीं की थी. एफसीआई नए मानकों के जरिए ऐसे मिलर्स को गेहूं उपलब्ध कराना चाहता है.
एफसीआई ने इस वर्ष गेहूं के लिए ई-नीलामी में नए मानदंड लागू किया है, जिसके अनुसार प्रत्येक बोलीदाता को यह कहते हुए घोषणापत्र देना होगा कि उसके पास उसकी मासिक प्रॉसेसिंग कैपेसिटी से अधिक गेहूं का स्टॉक नहीं है. इसके अलावा यह भी नियम रखा गया है कि बोलीदाता को अपनी मासिक क्षमता से अधिक स्टॉक के लिए बोली न लगाने और न उठाने का घोषणापत्र देना होगा. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि अगर किसी मिल मालिक की प्रॉसेसिंग कैपेसिटी 2,500 टन प्रति माह है और यदि उसके पास अभी 2450 टन स्टॉक है, तो वह नए नियमों के अनुसार अधिकतम 50 टन के लिए बोली लगा सकता है.
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