गंगनहर में 20 दिन की नहर बंदी और आईजीएनपी व भाखड़ा नहर परियोजना में सिंचाई पानी की उपलब्धता के बाद अब श्रीगंगानगर खंड में बीटी कपास की बुआई शुरू होगी. श्रीगंगानगर संभाग में बीटी कपास की डेढ़ दर्जन किस्में हैं. इनमें से चयन कर किसान बीटी कपास की बुआई कर सकते हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल श्रीगंगानगर खंड में चार लाख 38 हजार 307 हेक्टेयर क्षेत्र में बीटी कपास की बुआई की गई थी. गुलाबी सुंडी से 20 से 90 प्रतिशत तक नुकसान होता है. पिछले साल श्रीगंगानगर-अनूपगढ़ और हनुमानगढ़ जिलों में बीटी कपास की फसल में 20 से 90 फीसदी तक नुकसान हुआ था. वहीं, औसत नुकसान 66 फीसदी से ज्यादा माना जाता है. बीटी कपास की फसल गुलाबी बॉलवर्म द्वारा नष्ट हो गई. इससे कपास का उत्पादन प्रति हेक्टेयर आठ से 10 क्विंटल ही होता था.
पिछले वर्ष श्रीगंगानगर जिले में 229094 हेक्टेयर क्षेत्र में बीटी कपास की बुआई की गई थी. विभिन्न कंपनियों की बीटी कपास बीजी-2 (बीटी नरमा) समूह की विभिन्न संकर किस्में बोई गईं. इसमें सभी कपास क्षेत्रों में गुलाबी बॉलवर्म संक्रमण का आर्थिक हानि स्तर 10 प्रतिशत से अधिक पाया गया. इस कीट ने CRY AC जीन के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है. इस कीट के प्रकोप को कम करने के लिए विभिन्न उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी विधियों को अपनाना एक विकल्प है.
बीटी कपास की बुआई का उपयुक्त समय 1 मई से 20 मई तक है. किसान इसकी बुआई मध्य अप्रैल से लेकर पूरे मई माह तक कर सकते हैं. बीज दर : बीटी कपास की बीज दर 450 ग्राम प्रति बीघे रखें.
बीटी कपास की बुआई कतार से कतार की दूरी 108 सेमी (42 इंच) और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी (24 इंच) या 67.5 गुणा 90 सेमी (27 गुणा 35 इंच) की दूरी पर करके करें.
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