उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. पेराई सीजन शुरू होने के 3 महीने बाद भी सरकार ने 'स्टेट एडवाइस्ड प्राइस' यानी SAP को नहीं बढ़ाया है. साल 2024-25 के लिए अभी तक इसका ऐलान नहीं हुआ है. इससे यूपी के किसानों में नाराजगी है. एसएपी बढ़ाने को लेकर बिजनौर में किसानों ने जिला कलेक्टरेट पर विरोध प्रदर्शन किया.
किसानों ने कहा कि जिस तरह पंजाब और हरियाणा में गन्ने का रेट बढ़ाया गया है, उसी तरह यूपी में भी बढ़ना चाहिए. यूपी में भी पंजाब और हरियाणा की तरह गन्ने का भाव 400 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए. पिछले सीजन में यूपी सरकार ने 20 रुपये प्रति क्विंटल एसएपी बढ़ाया था. इससे गन्ने का भाव 370 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. यह रेट गन्ने की अगेती किस्मों का था. रेट बढ़ने के बावजूद किसान खुश नहीं हैं.
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के मंडल अध्यक्ष बाबूराम तोमर ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा, पिछले 7 साल में यूपी सरकार ने सिर्फ सिर्फ तीन बार एसएपी बढ़ाया है-10 रुपये, 25 रुपये और 20 रुपये प्रति क्विंटल. इस तरह तीन साल में गन्ने का रेट 55 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा है. दूसरी ओर गन्ना उगाने की लागत बढ़ गई है क्योंकि बीमारियों बचाव के लिए दवाओं पर खर्च अधिक होता है. गन्ने में लाल सड़न रोग और टॉप बोरर कीट का हमला हो रहा है जिससे बचाव के लिए महंगी दवाएं डालनी होती हैं. साथ ही, इस साल गन्ने की पैदावार इस साल गिर गई है.
बीकेयू (अराजनैतिक) के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने कहा, प्रदेश में 50 लाख किसानों में 46 लाख किसान राज्य की 120 चीनी मिलों में डायरेक्ट गन्ने की सप्लाई करते हैं. सरकार ने अभी हाल में इथेनॉल का दाम बढ़ाने की घोषणा की है और चीनी के निर्यात को खोलने का ऐलान किया है. इन दोनों फैसलों से चीनी मिलों को ही फायदा होगा. ऐसे में सरकार को एसएपी बढ़ाकर किसानों को लाभ पहुंचाना चाहिए. किसान पहले से ही कर्ज और कम कीमतों के बोझ तले दबे हैं. पिछले साल 31 जनवरी को गन्ने के दाम की घोषणा हुई थी, लेकिन इस साल अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है.
दूसरी ओर, चीनी मिल के मालिकों ने गन्ने के रेट में किसी भी तरह की बढ़ोतरी का विरोध किया है. चीनी मिलों ने इसके लिए इस साल चीनी के कम रिकवरी रेट का हवाला दिया है. पिछले सीजन से इस साल रिकवरी रेट 0.75 परसेंट कम है. चीनी मिलों का कहना है कि गन्ने के दाम बढ़ेंगे तो उनके संचालन का खर्च बढ़ जाएगा. बिजनौर शुगर मिल्स यूनिट के हेड रवींद्र शुक्ला ने कहा, अगर एसएपी बढ़ाया जाता है तो चीनी मिलों को किसानों को समय पर पेमेंट देने के लिए जूझना पड़ेगा.
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