Crop Diversification: गेहूं और धान के बीच में लें आलू की फसल, ऐसे बढ़ेगी आपकी कमाई

Crop Diversification: गेहूं और धान के बीच में लें आलू की फसल, ऐसे बढ़ेगी आपकी कमाई

फसल विविधीकरण (crop diversification) का मतलब केवल एक या दो प्रकार की फसलों की खेती के विपरीत, अधिक क्षेत्र या एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने की सलाह देता है. इसमें कृषि उत्पादकता, स्थिरता और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए विभिन्न फसल की किस्मों को लगाया जाता है.

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Crop Diversification: गेहूं और धान के बीच में लें आलू की फसल, ऐसे बढ़ेगी आपकी कमाईCrop Diversification

कृषि विभाग की मेहनत और राज्य सरकार की सरकारी योजनाएं किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं. किसान अब बिना किसी डर के फसल विविधीकरण की ओर लौट रहे हैं. साथ ही, जब फसल की कीमतें कम हो जाती हैं, तो अंतर की भरपाई सरकार की भावांतर मुआवजा योजना के तहत की जा रही है. जिससे किसानों को कम कीमत पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता है. इसके अलावा किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर आलू की खेती कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, जो उनके लिए फायदे की खेती साबित हो रही है.

करनाल के गांव सागोही निवासी किसान धन सिंह के मुताबिक गेहूं और धान के बीच आलू की फसल उगाई जा सकती है. इसके बाद गेहूं की फसल बोई जाती है. जिसमें खाद या दवा की कोई जरूरत नहीं होती. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल विविधीकरण अपनाकर लाभकारी खेती कर लाभ कमा सकते हैं.

आलू की खेती में नुकसान का डर नहीं- किसान

दस एकड़ में आलू की खेती करने वाले किसान ने कहा कि अब आलू की खेती करने में नुकसान का डर नहीं है. क्योंकि अगर रेट कम रहेगा तो राज्य सरकार इसकी भरपाई करेगी. अब सरकार ने दिसंबर माह से ही भावांतर भरपाई योजना शुरू कर दी है और पोर्टल भी खोल दिया है. उन्होंने कहा कि यह धान और गेहूं के बीच की फसल है, यह फसल फायदे का सौदा है. इस फसल से अन्य लोगों को भी रोजगार मिलता है, यह फसल फायदे का सौदा है. उन्होंने युवाओं से कहा कि जो लोग विदेश जा रहे हैं, अगर उनके पास कुछ या अधिक जमीन है तो वे यहीं रहकर ठीक से खेती करें. जिससे उन्हें लाभ ही लाभ होगा.

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1998 से कर रहे आलू की खेती

किसान पवन ने बताया कि वह 1998 से आलू की खेती कर रहे हैं. आलू की फसल गेहूं और धान के बीच उगाई जाती है. अगर रेट अच्छे हैं तो बहुत अच्छे रेट मिलते हैं. अब रेट कम होने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि सरकार ने भावांतर भरपाई योजना शुरू की है, जिसके तहत अगर बाजार में आलू के रेट कम होते हैं तो राज्य सरकार किसानों को उस अंतर की भरपाई करेगी.

मशीनों से होती है आलू की बुआई

पिछले साल आलू के रेट कम थे, सरकार ने उस अंतर की भरपाई कर दी. उन्होंने कहा कि आलू की बुआई मशीनों से की जाती है. उन्होंने कहा कि जब आलू उखाड़ा जाता है तो अधिक मजदूरों की जरूरत पड़ती है. किसान भाइयों को मौसम देखकर आलू की फसल लगानी चाहिए. साथ ही किसान भाइयों को फसल विविधीकरण पर जोर देना चाहिए. ताकि खेती घाटे का सौदा नहीं बल्कि फायदे का सौदा साबित हो सके.

क्या है फसल विविधीकरण?

फसल विविधीकरण (crop diversification) का मतलब केवल एक या दो प्रकार की फसलों की खेती के विपरीत, अधिक क्षेत्र या एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाने की सलाह देता है. इसमें कृषि उत्पादकता, स्थिरता और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए विभिन्न फसल की किस्मों को लगाया जाता है. फसलों में विविधता लाने से किसानों को मौसम के उतार-चढ़ाव, कीटों, बीमारियों और बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है. यदि एक फसल प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण विफल हो जाती है, तो अन्य फसलें फिर भी पनप सकती हैं, जिससे नुकसान से बचाव हो सकता है.

क्या है भावांतर भरपाई योजना?

हरियाणा राज्य के किसान जो अपनी फसलें जैसे सब्जियां, फल आदि बाजार में बेचते हैं लेकिन उन्हें अपनी फसल बेचने पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. उन किसानों को राज्य सरकार द्वारा या तो मुआवजा दिया जाता है या बाजार में कम कीमत मिलने पर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाता है. इस योजना का लाभ हरियाणा राज्य के किसानों को ही प्रदान किया जायेगा. राज्य के जिन किसानों को अपनी फसल को बाजार में बेचने पर कम कीमत मिली है. राज्य सरकार उन किसानो को फसल में हुए घाटे को कम करने के लिए भावांतर भरपाई योजना हरियाणा के तहत मुहावजा के रूप में प्रोत्साहन धनराशि प्रदान करेगी जिससे किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी.

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