फिरोजपुर में 1 साल बाद भी नहीं शुरू हुई मिर्च क्लस्टर परियोजना, किसानों ने सरकार से लगाई ये गुहार

फिरोजपुर में 1 साल बाद भी नहीं शुरू हुई मिर्च क्लस्टर परियोजना, किसानों ने सरकार से लगाई ये गुहार

तूत गांव में सात एकड़ में खेती करने वाले किसान लखविंदर सिंह ने कहा कि परियोजना में देरी के कारण मिर्च उत्पादक काफी चिंतित हैं. फिलहाल, यहां उत्पादित मिर्च प्रोसेसिंग के लिए राजस्थान में बेची जाती है. फिर यह बाजार में पहुंचती है.

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फिरोजपुर में 1 साल बाद भी नहीं शुरू हुई मिर्च क्लस्टर परियोजना, किसानों ने सरकार से लगाई ये गुहारपंजाब में मिर्च किसानों की गुहार. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब सरकार द्वारा घोषित मिर्च क्लस्टर परियोजना एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक फिरोजपुर जिले में शुरू नहीं हो पाई है. इससे किसानों को उतना मुनाफा नहीं हो रहा है. किसानों ने सरकार से बहुत जल्द इस मिर्च क्लस्टर परियोजना को शुरू करने की मांग की है. ऐसे इस जिले में करीब 1700 हेक्टेयर में मिर्च की खेती की जा रही है. लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से जिले में मिर्च की बंपर पैदावार हो रही है. इससे पंजाब सरकार की मिर्च के लिए मैक्सिको पर निर्भरता कम हो गई है. लेकिन किसानों को अपनी उपज के मार्केटिंग और भंडारण में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. इसलिए कैबिनेट मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा ने इस जिले में मिर्च क्लस्टर शुरू करने की घोषणा की थी. इसके अलावा स्पीकर कुलतार सिंह संधवान ने भी मिर्च उत्पादकों को हर तरह की सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया था. तूत गांव में सात एकड़ में खेती करने वाले किसान लखविंदर सिंह ने कहा कि परियोजना में देरी के कारण मिर्च उत्पादक काफी चिंतित हैं. फिलहाल, यहां उत्पादित मिर्च प्रोसेसिंग के लिए राजस्थान में बेची जाती है. फिर यह बाजार में पहुंचती है.

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फिरोजपुर में क्लस्टर बनने से होगा फायदा

किसान ने कहा कि फिरोजपुर में क्लस्टर बनने के बाद, मिर्च को यहीं पर प्रोसेस्ड किया जाएगा और सीधे उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जाएगी. लखविंदर ने कहा कि हमने खाद्य प्रोसेसिंग और ड्रायर इकाई स्थापित करने की मांग की है. पंजाब एग्रो को यहां एक संग्रह केंद्र स्थापित करना चाहिए, ताकि किसान आसानी से अपनी उपज बेच सकें, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हुआ है. लूमबरीवाला गांव के निवासी मनप्रीत सिंह ने कहा कि मिर्च उत्पादक राज्य सरकार की उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे हैं. मनप्रीत ने कहा कि अभी तक कोल्ड स्टोरेज और उपज के मार्केटिंग से संबंधित मुद्दों का समाधान नहीं किया गया है. हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उर्वरक और कीटनाशकों को प्राप्त करने के लिए अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है.

65 प्रतिशत तक मिलेगी सब्सिडी 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को आंध्र प्रदेश की तर्ज पर सुविधाएं देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि ऐसी सुविधाएं दी जाती हैं, तो हम क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे पाएंगे. बागवानी विकास अधिकारी (एचडीओ) डॉ. सिमरन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने पंजाब बागवानी उन्नति और सतत उद्यमिता (PHASE) परियोजना शुरू की है, जिसके तहत विभाग मिर्च उत्पादकों को अपने स्वयं के खरीद और प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए 65 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है.

पंजाब में मिर्च का रकाब

एचडीओ ने कहा कि विभाग किसानों को इस योजना के बारे में जागरूक करने के लिए शिविरों का आयोजन कर रहा है, ताकि अधिक से अधिक मिर्च उत्पादक इसका लाभ उठा सकें. जानकारी के अनुसार, राज्य में 9,920 हेक्टेयर में लगभग 19,963 मीट्रिक टन हरी मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है. मिर्च उत्पादन करने वाले प्रमुख जिलों में फिरोजपुर, पटियाला, मलेरकोटला, संगरूर, जालंधर, तरनतारन, अमृतसर, एसबीएस नगर और होशियारपुर शामिल हैं. इनमें से फिरोजपुर 1,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके बाद जालंधर 1,195 हेक्टेयर और तरनतारन 1,106 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ दूसरे स्थान पर है, जो 8,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और 16,000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है.

 

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