कई माह से लगातार दाल की महंगाई दोहरे अंक में चल रही है, जिससे फरवरी में खाद्य महंगाई दर 8.66 फीसदी रही है. दालों को महंगाई को कम करने के लिए और बाजार में उपलब्धता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार पीली दाल के आयात शुल्क पर छूट को अप्रैल के बाद भी जारी रखने की तैयारी कर रही है. अप्रैल के बाद चने के स्थान पर उपयोग की जाने वाली पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी जा सकती है. क्योंकि रकबा घटने और कम होने के कारण चने की पैदावार कम होने का अनुमान है.
केंद्र सरकार ने दिसंबर 2023 की शुरुआत में मार्च 2024 तक पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी है. अब बीते कुछ महीने से दालों की महंगाई दर लगातार दोहरे अंक में बने रहने और कम उपज अनुमानों को देखते हुए कहा जा रहा है कि दालों की कीमतों को कम करने के प्रयासों के तहत सरकार पीली दाल के आयात शुल्क पर छूट को अप्रैल तक बढ़ाएगी. दालों की महंगाई दर फरवरी में 18.48 फीसदी दर्ज की गई थी, जो जनवरी में 16.06 फीसदी थी. अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के साथ, सरकार ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोत्तरी को रोकने के लिए निर्यात प्रतिबंध, स्टॉक लिमिट, अपने स्टॉक को उतारने के साथ ही आयात शुल्क हटाने जैसे कई प्रयास किए हैं.
पीली मटर के आयात से चना की आपूर्ति में अनुमानित कमी को पूरा करने में मदद मिलने की उम्मीद है, क्योंकि रकबे में गिरावट और मौसम के कारण पैदावार पर असर के चलते घरेलू फसल पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है. ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के अनुसार इस साल चने का रकबा कम है और मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में उपज इस साल 10-12 फीसदी कम होने की उम्मीद है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार रबी सीजन 2023-24 के दौरान चने के बुआई क्षेत्र में सालाना आधार पर 5 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. अनियमित वर्षा और नमी को लेकर चिंता से भी कुल उपज में कमी आने की आशंका है.
भारत की दाल खपत पूरा करने के लिए आयात करता है. देश में मुख्य रूप से चना, मसूर, उड़द, काबुली चना और अरहर की खपत सर्वाधिक होती है. सरकारी अनुमान के अनुसार भारत को इस वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक लगभग दस लाख टन पीली मटर का आयात करने की उम्मीद है, जो हाल के दिनों में सबसे अधिक हो सकता है. भारत बड़े पैमाने पर कनाडा और रूस से पीली मटर का आयात करता है.
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