केंद्र सरकार ने अहम फैसले में गैर बासमती सफेद चावल पर लगे न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी को हटा दिया है. इससे पहले बीते माह सितंबर में केंद्र ने इस चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटाया था. अब इस पर लगने वाले एमईपी को हटाने से निर्यात में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी. इसके साथ ही केंद्र ने उबले चावल और भूरे चावल के निर्यात शुल्क को भी हटा दिया है. केंद्र के फैसले से किसानों को फायदा मिलेगा, जबकि कारोबारियों के अटके शिपमेंट भी रवाना हो सकेंगे और उनकी लागत भी घटेगी.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगने वाले न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटाने का फैसला किया है. 23 अक्तूबर को आए फैसले के अनुसार गैर बासमती सफेद चावल पर लगने वाले 490 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटा दिया गया है.
केंद्र सरकार ने 22 अक्टूबर से उबले चावल और भूसी वाले भूरे चावल पर निर्यात शुल्क हटा दिया है. पिछले महीने सितंबर में केंद्र ने दोनों तरह के चावल के निर्यात शुल्क को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था. यह बदलाव पिछले महीने गैर बासमती सफेद चावल को निर्यात शुल्क से छूट दिए जाने के बाद किया गया था.
इससे पहले केंद्र ने 28 सितंबर को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक हटाई थी. केंद्र सरकार के ताजा निर्णय से चावल निर्यात में तेजी आएगी. जबकि, कारोबारियों की निर्यात लागत बड़ी कटौती देखने को मिलेगी और उनका मार्जिन बढ़ेगा. ऐसी स्थिति में किसानों को धान का अच्छा दाम भी मिलने की संभावना को पंख लग गए हैं. जबकि, मौजूदा खरीफ सीजन की फसल खरीद प्रक्रिया के चलते मंडियों में उठान में देरी के मामले भी खत्म हो जाएंगे.
केंद्र सरकार ने घरेलू आपूर्ति बरकरार रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जुलाई 2023 में चावल निर्यात पर रोक लगाई थी और नियम सख्त कर दिए थे, जिसके बाद वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में तेजी देखी गई थी. क्योंकि, भारत वैश्विक स्तर पर चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. तब ऊंची कीमतों से परेशान कई देशों ने भारत के चावल प्रतिबंध के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई थी. केंद्र ने घरेलू चावल मांग और आपूर्ति संतुलित होने के बाद सितंबर 2024 में नियमों में राहत देते हुए निर्यात खोल दिया था.
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