देश के कई राज्य इस समय बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ की वजह से कई राज्यों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. साथ ही इस बाढ़ का दंस झेल रहे लोगों भारी नुकसान हुआ है. ऐसा ही मामला बिहार के मुंगेर से भी सामने आया है, जहां बाढ़ ने इस बार भीषण तबाही मचाई है. बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा नुकसान किसानों की हुई है. मुंगेर के छह प्रखंडों के सैकड़ों गांव के किसानों की मेहनत , पूंजी और अरमान सब एक साथ गंगा के पानी में बह गया है.
बाढ़ से नुकसान के बाद किसान सरकार और प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए मुआवजे आस देख रहे है. मुंगेर जिले के असरगंज प्रखंड के चौड़गांव के किसानों ने अपना दुख और दर्द बयां किया. किसानों ने बताया कि उनकी लगाई सारी फसल बाढ़ में चौपट हो गई है. किसानों के खेतों में धान की फसल लहलहाने के बजाय बाढ़ के पानी में पूरी तरह गल कर खत्म हो चुका है.
कई एकड़ में लगे धान की फसल नष्ट हो गई है. बाढ़ के बाद खेतों में अब फसल की जगह सिर्फ मिट्टी दिखाई दे रहा है. बाढ़ ने खेतों में लगी फसलों की इस कदर बर्बाद कर दिया है कि उन खेतों में अबतक घास तक नहीं उग पाया है. किसानों ने बताया कि उन लोगों ने एक बार जब फसल बह गई तो कर्ज लेकर दोबारा लगाया लेकिन वह भी डूब गई है.
बाढ़ पीड़ित किसानों ने कहा कि फसल नष्ट होने से वो पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. पिछले साल भी इसी तरह के बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया था और इस बार भी वही हाल है. किसानों ने कहा कि सरकार किसानों के लिए सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन धरातल पर उसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता है.
किसानों ने बताया कि बिहार में बदलाव की जरूरत है और यह सरकार सिर्फ जाति पाती देखकर लोगों की समस्याओं पर काम करती है. किसानों ने कहा कि यहां के विधायक और जमुई के सांसद आजतक पलट कर देखने तक नहीं आए. सिर्फ वोट के समय आकर झूठा आश्वासन देते हैं और जीत कर जाने के बाद देखने तक नहीं आते हैं कि किसान किस स्थिति में हैं. इसलिए यहां के किसानों ने इस बार मन बना लिया है कि किसानों के दर्द के साथ जो सरकार काम करेगी किसान उन्हें ही अपना वोट देंगे. (गोविंद कुमार की रिपोर्ट)
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