किसान सब्जियों की खेती से कम समय में पैसा प्राप्त कर सकते हैं. सब्जियों की खेती के अंतर्गत चुकंदर की खेती काफी लाभकारी हो सकती है. चुकंदर के गुणों के कारण ही इसकी बाजार मांग अच्छी बनी रहती है. चुकंदर पोषण से भरपूर एक जड़ वाली सब्जी है. इसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी फोलिक एसिड, फाइबर, मैंगनीज और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. चुकंदर ब्लड प्रेशर और वजन कम करने के साथ-साथ पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में काफी मदद करता है.
चुकंदर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर जैसी घातक रोगों में काम आता है. यह हृदय रोग, खून की कमी आदि के रोगों में भी फायदेमंद है. लाभों को देखते हुए चुकंदर की बाजार में मांग काफी अच्छी रहती है.इसलिए किसान इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
चुकंदर की खेती के लिए समतल एवं उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इसके अलावा इसकी खेती दोमट मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है. परन्तु मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए. चुकंदर की खेती के लिए ठंडी जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. हालांकि इसकी खेती गर्मी के मौसम या पॉलीहाउस में भी की जा सकती है. अधिक तापमान होने पर जड़ों में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है जिससे कंद का विकास ठीक से नहीं हो पाता है.
सबसे पहले खेत की गहराई से जुताई करनी चाहिए. इसके बाद में उसमें खरपतवार नियंत्रण कर के खेत में गोबर की खाद डालकर खेत को तैयार करना चाहिए. क्यारी बनाकर मेड़ पर चुकंदर की बुवाई करने से फसल काफी अच्छी हो जाती है. चुकंदर के बीजों को 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाना चाहिए.इस तरीके से खेती करने पर अच्छी फल होती है.
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चुकंदर की फसल को सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती थी. आमतौर पर बुआई के 15 दिनों बाद पहली सिंचाई और बुआई के 20 दिनों बाद दूसरी सिंचाई की जाती है. इसके बाद 20 से 25 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. किसान सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जलजमाव न हो पाए. किसान खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करें.
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