Beetroot farming: चुकंदर की खेती से किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा,जानिए इसकी खेती से जुड़ी सारी बाते  

Beetroot farming: चुकंदर की खेती से किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा,जानिए इसकी खेती से जुड़ी सारी बाते  

इस खरीफ सीजन में किसान चुकंदर की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जाने इसकी खेती की तैयारी और उन्नत किस्मों के बारे में.

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Beetroot farming: चुकंदर की खेती से किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा,जानिए इसकी खेती से जुड़ी सारी बाते  चुकंदर की खेती से भी हो सकता है मुनाफा

किसान सब्जियों की खेती से कम समय में पैसा प्राप्त कर सकते हैं. सब्जियों की खेती के अंतर्गत चुकंदर की खेती काफी लाभकारी हो सकती है. चुकंदर के गुणों के कारण ही इसकी बाजार मांग अच्छी बनी रहती है.  चुकंदर पोषण से भरपूर एक जड़ वाली सब्जी है. इसमें कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी फोलिक एसिड, फाइबर, मैंगनीज और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. चुकंदर ब्लड प्रेशर और वजन कम करने के साथ-साथ पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में काफी मदद करता है. 

 चुकंदर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर जैसी घातक रोगों में काम आता है. यह हृदय रोग, खून की कमी आदि के रोगों में भी फायदेमंद है.  लाभों को देखते हुए चुकंदर की बाजार में मांग काफी अच्छी रहती है.इसलिए किसान इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.     

उपयुक्त मिट्टी और जलवायु 

चुकंदर की खेती  के लिए समतल एवं उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इसके अलावा इसकी खेती दोमट मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है. परन्तु मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए. चुकंदर की खेती  के लिए ठंडी जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. हालांकि इसकी खेती गर्मी के मौसम या पॉलीहाउस में भी की जा सकती है. अधिक तापमान होने पर जड़ों में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है जिससे कंद का विकास ठीक से नहीं हो पाता है.   

ऐसे करें खेत की तैयारी

सबसे पहले खेत की गहराई से जुताई करनी चाहिए. इसके बाद में उसमें खरपतवार नियंत्रण कर के खेत में गोबर की खाद डालकर खेत को तैयार करना चाहिए. क्यारी बनाकर मेड़ पर चुकंदर की बुवाई करने से फसल काफी अच्छी हो जाती है. चुकंदर के बीजों को 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाना चाहिए.इस तरीके से खेती करने पर अच्छी फल होती है.

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सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

चुकंदर की फसल को सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती थी. आमतौर पर बुआई के 15 दिनों बाद पहली सिंचाई और बुआई के 20 दिनों बाद दूसरी सिंचाई की जाती है. इसके बाद 20 से 25 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. किसान सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जलजमाव न हो पाए. किसान खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करें.  

खेती करते समय दे जरूरी ध्यान

  • इसकी खेती के लिए खेत में हर समय नमी रहना आवश्यक होना जरूरी है.
  • इसकी खेती ठंडे महीनों या नमी वाले क्षेत्र में अधिक की जाती है.
  • ठंडे या  नमी वाले क्षेत्रों में उगाई गई चुकंदर की फसल में शक्कर की मात्रा काफी अधिक होती है.
  • इसकी खेती के लिए ज्यादा बरसात की जरूरत नहीं पड़ती है.
  • इसकी खेती को बारिश प्रभावित नहीं करती है. इसकी खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर का महीना अच्छा माना गया है.
  • चुकंदर की फसल के लिए 20 डिग्री का तापमान इसकी फसल के लिए काफी होता है.
  • खेती में एक हेक्टेयर में 14-15 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
  • फसल की बुआई के लिए एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी करीब 15-20 सेंटीमीटर की होनी चाहिए.

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