देश के प्याज उत्पादक किसानों को ऐसी उम्मीद है कि केंद्र सरकार 31 मार्च को प्याज एक्सपोर्ट पर लगा प्रतिबंध हटा लेगी. इस बीच बाजार में प्याज के दाम में भारी उथल-पुथल जारी है. एक ही राज्य में कहीं न्यूनतम दाम सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो है तो कहीं 10 रुपये. इसी तरह कहीं अधिकतम दाम 14 रुपये किलो है तो कहीं 35 रुपये का दाम मिल रहा है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इतने उतार-चढ़ाव की वजह सिर्फ आवक का कम या अधिक होना है. जहां आवक कम है वहां दाम ज्यादा है और जहां और ज्यादा है वहां किसानों को दाम कम मिल रहा है. गुणवत्ता की वजह से भी दाम में अंतर आ जाता है.
महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि 15 मार्च को नागपुर की कामठी मंडी मैं सिर्फ 27 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया. इतनी कम आवक की वजह से यहां प्याज बेचने वाले किसानों को अधिकतम थोक दाम 25 प्रति किलो के हिसाब से मिला. इसी तरह कोल्हापुर स्थित पेठ वडगांव मंडी में सिर्फ 80 क्विंटल प्याज की आवक हुई और यहां प्याज बेचने वाले किसानों को अधिकतम थोक दाम 35 रुपये प्रति किलो मिला. न्यूनतम दाम 10, और औसत दाम 15 रुपये प्रति किलो रहा.
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महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि इस वक्त किसानों को प्रति किलो प्याज उत्पादन की लागत 20 रुपये तक आ रही है. लेबर, खाद, पानी, कीटनाशक सहित सभी कृषि इनपुट काफी महंगे हो गए हैं जबकि हम अब भी एक दशक पुराने दाम पर ही प्याज बेचने के लिए मजबूर हैं.
इसलिए हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि प्याज की उत्पादन लागत के हिसाब से उसका न्यूनतम दाम फिक्स करे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सबका नुकसान होगा. किसान खेती कम कर रहे हैं जो देश के लिए ठीक नहीं है. सही दाम मिलेगा तो खेती कम नहीं होगी. महंगाई पर कंट्रोल पाने के लिए सरकार को बिचौलियों पर नियंत्रण रखना चाहिए, जबकि सरकार किसानों को नियंत्रित कर रही है.
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