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पंजाब पर टिकी हैं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की निगाहें, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं गेहूं फसल की निगरानी

पंजाब पर टिकी हैं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की निगाहें, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं गेहूं फसल की निगरानी

इस महीने की शुरुआत में देश में गेहूं का स्टॉक 163.50 लाख टन था. वर्ष 2017 के बाद से भारतीय खाद्य निगम के पास यह सबसे कम स्टॉक है, जब गेहूं का स्टॉक घटकर 137.50 लाख टन रह गया था. जबकि, पंजाब में एफसीआई के पास 23 लाख टन गेहूं का स्टॉक है.

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इस साल गेहूं की होगी बंपर पैदावार. (सांकेतिक फोटो) इस साल गेहूं की होगी बंपर पैदावार. (सांकेतिक फोटो)

जैसे-जैसे देश में गेहूं का स्टॉक घट रहा है, सभी की निगाहें पंजाब पर जा कर टिक गई हैं. क्योंकि इस बार पंजाब में किसानों ने गेहूं की बंपर बुवाई की है. साथ ही अनुकूल मौसम की वजह से अच्छी उपज की उम्मीद भी की जा रही है. ऐसे में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की निगाहें पर पंजाब पर टिकी हुई हैं. अंतरराष्ट्रीय खाद्य एजेंसियां भी यहां गेहूं उत्पादन की निगरानी कर रही हैं.

दरअसल, इस महीने की शुरुआत में देश में गेहूं का स्टॉक 163.50 लाख टन था. वर्ष 2017 के बाद से भारतीय खाद्य निगम के पास यह सबसे कम स्टॉक है, जब गेहूं का स्टॉक घटकर 137.50 लाख टन रह गया था. जबकि, पंजाब में एफसीआई के पास 23 लाख टन गेहूं का स्टॉक है.

देश में गेहूं का रकबा

वहीं, इस साल पूरे देश में भी किसानों ने गेहूं की बंपर बुवाई की गई है. किसानों ने 340.08 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.58 लाख हेक्टेयर अधिक है. खास कर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में किसानों ने ज्यादा रकबे में गेहूं बोया है. हालांकि, पंजाब में धान की कटाई देर से होने के बावजूद गेहूं का रकबा अपने लक्ष्य 32 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है. हालांकि पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है. लेकिन सरसों का रकबा बढ़ने से अच्छी फसल और अधिक उपज की उम्मीद है.

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कितना है पंजाब में गेहूं का रकबा

राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष पंजाब में गेहूं का रकबा 34.80 लाख हेक्टेयर है. जबकि, यह पिछले साल यह आंकड़ा गेहूं के 35.08 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, इसके बावजूद भी उत्पादन पिछले साल के 164.75 लाख टन से थोड़ा ऊंचे स्तर पर रहने की उम्मीद है. पिछले साल पंजाब में गेहूं की पैदावार 4,696 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी.

पीले रतुआ का खतरा बढ़ जाता है

प्रदेश के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि हालांकि हम इस महीने के अंत तक गेहूं उत्पादन का सटीक आकलन करने में सक्षम होंगे. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका सहित कई देशों की अंतरराष्ट्रीय खाद्य एजेंसियां भी यहां गेहूं उत्पादन की निगरानी कर रही हैं. चूंकि लगातार ठंड और कोहरे के मौसम में पीले रतुआ का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में हम अपने विस्तार चैनलों के माध्यम से किसानों के साथ लगातार काम कर रहे हैं, ताकि उन्हें फसल की सुरक्षा के बारे में सलाह दी जा सके.

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