UP Farmer: चरी की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद, मोटी कमाई के साथ पशुओं में बढ़ेगी दूध उत्पादन की क्षमता

UP Farmer: चरी की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद, मोटी कमाई के साथ पशुओं में बढ़ेगी दूध उत्पादन की क्षमता

डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता बताते हैं कि चरी की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान चरी की फसल की बड़े पैमाने में खेती करते हैं, जिससे उनको लाखों रुपये की इनकम हो रही है.

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UP Farmer: चरी की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद, मोटी कमाई के साथ पशुओं में बढ़ेगी दूध उत्पादन की क्षमतावरिष्ठ कृषि एक्सपर्ट डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता (Photo-Kisan Tak)

Chari Farming:  कुछ फसलें गर्मी के मौसम की हैं, जिन्हें लगाकर किसान खासा मुनाफा कमा सकते हैं. इनमें से एक चरी की फसल है, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती हैं. इसके साथ ही किसान हरे चारे के रूप में बड़े पैमाने पर इसकी खेती से हजारों रुपये प्रतिदिन कमा सकते हैं. इसके अलावा सबसे बड़ा फायदा इस फसल से दूध देने वाले जानवर को है. क्योंकि, इसका चारा खिलाने से उनके दूध उत्पादन की क्षमता पहले से ज्यादा हो जाती है. साथ ही जानवर भी कई बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं.

किसानों को डबल फायदा

किसान तक से बातचीत में वरिष्ठ कृषि एक्सपर्ट डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि गेहूं की कटाई के बाद चरी की फसल किसानों के लिए काफी कारगर होगी. गेहूं की फसल काटने के बाद दो बार ट्रैक्टर से जुताई कर किसान अपने खेत में चरी के बीज की बुवाई कर सकते हैं.1 महीने में तैयार होने वाली चरी की फसल हरी खाद के रूप में किसानों के काम आती है. इसके साथ ही किसान हरे चारे के रूप में बड़े पैमाने पर इसकी खेती से हजारों रुपये प्रतिदिन कमा सकते हैं. आगे उन्होंने कहा कि इस फसल से किसानों को डबल फायदा होता है. क्योंकि, दूध देने वाले जानवरों के लिए ये चारा बेहद फायदेमंद है. इससे जानवरों में दूध उत्पादक की क्षमता बढ़ जाती है.

55-60 दिनों में चरी की पहली कटाई

कृषि एक्सपर्ट डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि इसका तना मोटा, अधिक रस वाला तथा अधिक समय तक हरा रहता है. पूसा चरी संकर-109, बहुकटाई वाली संकर किस्म है जो 55-60 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह विभिन्न बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है. बुवाई करते समय छोटे दाने वाली किस्मों के लिए बीजदर 10-12 किग्रा. प्रति हैक्टेयर रखें. उन्होंने कहा कि किसान बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. रखें. बुवाई के समय बीज की गहराई 1.5-2.0 सेमी. उपयुक्त है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान करते चरी की खेती

डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता बताते हैं कि चरी की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान चरी की फसल की बड़े पैमाने में खेती करते हैं, जिससे उनको लाखों रुपये की इनकम हो रही है. जबकि पशुओं के लिए हरा चारे की किल्लत भी नहीं होती है.

40 प्रतिशत का अनुदान

चरी की खेती के लिए किसानों को 40 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है. इसके लिए किसानों को अपना आधार कार्ड, बैंक पासबुक और खतौनी के साथ कृषि रक्षा इकाई केंद्र पर संपर्क करना होगा. 

 

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