इस साल हनुमानगढ़ में गुलाबीसुंडी रोग से कपास में काफी नुकसान हुआ था. नुकसान के सही आकलन के लिए कृषि विभाग ने सर्वे कराया था. अब इस सर्वे का काम पूरा हो गया है. विभाग सर्वे के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट बना रहा है. इस रिपोर्ट को कृषि आयुक्तालय में भेजा जाएगा और फिर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. सर्वे के अनुसार जिन किसानों ने अगेती बुवाई की थी, उन्हें नुकसान सबसे ज्यादा हुआ है. साथ ही जिन किसानों ने कपास की अगेती बिजाई की थी, उसी में गुलाबीसुंडी का प्रकोप ज्यादा देखने को मिला है. मिली जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ जिले में करीब 80 हजार हेक्टेयर कपास में गुलाबीसुंडी से नुकसान पाया गया है. कृषि वैज्ञानिकों ने सर्वे में यह भी पाया कि जिन किसानों ने समय रहते फसल में कीटनाशक का उपयोग किया, वहां अगेती फसल में कम खराबा हुआ है.
साथ ही जहां इस रोग का प्रकोप नहीं था, वहां सामान्य से ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है. क्योंकि इस बार कपास में फूल काफी अच्छा आया है.
हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर क्षेत्र में खरीफ सीजन में नरमा मुख्य फसल है. लेकिन इस साल नरमा में गुलाबीसुंडी से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. इसीलिए वे मुआवजे की मांग कर रहे हैं. नुकसान के आकलन के लिए कृषि विभाग ने हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी, संगरिया, पीलीबंगा और रावतसर तहसीलों में रेंडम जांच की गई. वैज्ञानिकों ने किसानों से कीटनाशक के उपयोग, बिजाई, बीज का भी डेटा लिया.
इसी आधार पर विभाग अब रिपोर्ट बनाने में जुटा है. बता दें कि इस साल हनुमानगढ़ जिले में करीब 2.06 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन की बुवाई हुई थी. इसमें से करीब 80 हजार हेक्टेयर में गुलाबीसुंडी से नुकसान पाया गया है.
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बीटी कॉटन खरीफ की मुख्य फसल है. यह पहली बार है जब बीटी कॉटन में इतने व्यापक स्तर पर गुलाबीसुंडी का असर देखने को मिला है. इसीलिए किसान संगठनों ने विशेष गिरदावरी कराकर मुआवजे की मांग की है. कई बार संगठन इसके लिए आंदोलन और धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं.
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हालांकि कृषि विभाग ने जून महीने में कीट के प्रकोप की आशंका जताई थी. रोकथाम के लिए कई जगहों पर जिले में किसानों के साथ वर्कशॉप भी कीं. लेकिन जो किसान समय रहते इस पर रोकथाम नहीं कर पाए, उन्हें काफी नुकसान हुआ है.
राजस्थान ही नहीं बल्कि देश में हजारों किसान ठेके पर खेत लेकर खेती करते हैं. कई किसानों ने ठेके पर जमीन लेकर नरमा की बिजाई की थी. इसमें गुलाबीसुंडी से फसल बर्बाद हो गई. इस तरह हजारों किसानों को दोतरफा नुकसान हुआ है. क्योंकि फसल भी खराब हो गई और ठेके पर ली गई जमीन का किराया भी देना पड़ा है. इसीलिए ये किसान मुआवजे की मांग को और तेज किए हुए हैं. क्षेत्र में एक बीघा खेती 25-30 हजार रुपये के हिसाब से ठेके पर ली गई थी.
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