इस खरीफ सीजन में प्याज की बुवाई कम रह सकती है. क्योंकि रबी सीजन में प्याज के दाम किसानों को बेहद कम मिले थे. इसी के चलते किसान इस बार कम क्षेत्र में बुवाई कर सकते हैं. इस साल रबी में प्याज की कीमत बेहद कम यानी दो-तीन रुपये प्रति किलो के रहे. इसमें किसानों को लाभ नहीं, बल्कि लागत निकालना भी मुश्किल हो गया. इसमें बाजार के साथ-साथ खराब मौसम भी काफी जिम्मेदार था. साथ ही किसानों के पास प्याज के भंडारण की क्षमता भी नहीं है. इन सभी कारणों के चलते प्याज के दाम बाजार में औंधे मुंह गिर गए.
मार्च के महीने में लगातार बारिश और ओलावृष्टि के कारण प्याज की कीपिंग क्वालिटी यानी भंडारण गुणवत्ता प्रभावित हुई. इन सबकी वजह से खरीफ सीजन में किसान प्याज की खेती करने से बचना चाहते हैं.
प्याज की कीमतें लगातार कम होने के अलावा इस बार प्याज की आवक बाजार में बराबर बनी हुई है. साथ ही मांग के अनुसार आपूर्ति भी हो रही है. इसीलिए अब तक बाजार में प्याज की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. वहीं, निकट भविष्य में प्याज के रिटेल और थोक भाव बढ़ने की भी उम्मीद नजर नहीं आ रही है. इसीलिए बाजार और कृषि विशेषज्ञ मान कर चल रहे हैं कि आने वाले खरीफ सीजन में प्याज किसान इसकी कम ही खेती करेंगे.
इसके स्थान पर किसान सब्जी या तरबूज, खरबूजे जैसे फलों की खेती पर जोर दे सकते हैं. अलवर प्याज मंडी में प्रमुख प्याज व्यापारी पप्पू प्रधान कहते हैं, “इस खरीफ सीजन में प्याज का बाजार सुस्त रहने का अंदेशा है. क्योंकि बीते रबी सीजन में किसानों को प्याज की कीमतें अच्छी नहीं मिली. किसानों ने प्याज को औने-पौने दामों पर बेचा है. इसीलिए संभावना है कि किसान इस सीजन में प्याज की खेती से दूर हो जाएं.”
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प्याज की फसल के अलावा इस खरीफ सीजन में प्याज के बीजों का भी संकट शायद ही इस बार देखने को मिले. क्योंकि इस बार राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में प्याज बीज का अच्छा उत्पादन रहा है. इस कारण प्याज के बीजों में वृद्धि की संभावना कम ही है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार प्याज बीजों का भाव एक हजार से 1400 रुपये प्रति किलो तक रह सकता है. बीज की कीमत कम रहना इसीलिए भी जरूरी है क्योंकि प्याज की खेती में किसान का सबसे अधिक खर्चा बीज पर ही होता है. किसान को एक हेक्टेयर खेत में करीब 10 किलो तक बीज की आवश्यकता होती है. इसके अलावा लेबर, कीटनाशक पर भी अलग से खर्च होता है. इस तरह एक हैक्टेयर प्याज की खेती पर किसान करीब 25-30 हजार रुपये तक खर्चा करता है.
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जयपुर में प्याज की खेती करने वाले किसान कैलाश चौधरी किसान तक से कहते हैं कि किसान के सामने प्याज के भंडारण की समस्या सबसे बड़ी है. क्योंकि प्याज की लगातार आवक से बाजार में उन्हें अच्छे भाव नहीं मिल पाते. इसीलिए किसानों के पास प्याज के भंडार होना आवश्यक है.
बता दें कि इस साल राज्य सरकार ने प्रदेश में 10 हजार प्याज के स्टोरेज बनाने का लक्ष्य रखा है. इसमें भारत सरकार का राष्ट्रीय बागवानी मिशन का पैसा भी शामिल है, लेकिन केन्द्र की ओर से अभी तक प्लान राज्य सरकार के पास नहीं आया है. इसीलिए प्याज स्टोरेज के लक्ष्य और गाइडलाइन जारी होना अभी बाकी है. वहीं, राज्य सरकार ने छह हजार प्याज भंडारण गृह बनाने की स्वीकृति जारी कर दी है.
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