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गंगनहर में छोड़ा जाएगा 2046 क्यूसेक पानी, गेहूं-चने की आसानी हो सकेगी सिंचाई

गंगनहर में छोड़ा जाएगा 2046 क्यूसेक पानी, गेहूं-चने की आसानी हो सकेगी सिंचाई

श्रीगंगानहर के किसानों के लिए होली का त्योहार खुशखबरी लेकर आया है. इस एक खबर से किसानों की गेहूं और चने की फसलें अच्छी होंगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा. 

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गंगनहर को मिलेगा 2046 क्यूसेक पानी. सांकेतिक फोटो- माधव शर्मा गंगनहर को मिलेगा 2046 क्यूसेक पानी. सांकेतिक फोटो- माधव शर्मा

श्रीगंगानहर के किसानों के लिए होली का पर्व खुशखबरी लेकर आया है. ज‍िससे राजस्थान के किसानों की गेहूं और चने की फसलों को लाभ म‍िलने वाला है. नतीजतन, उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. दरअसल, गंगनहर में खखां हैड पर पंजाब से मिलने वाले पानी की मात्रा अब 2046 क्यूसेक मीटर हो गई है. मतलब गंगनहर में 2046 क्यूसेक मीटर अत‍िर‍िक्त पानी छोड़ा जाएगा, इससे सूखे खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिल पाएगा. इस पानी की जरूरत इसीलिए भी कि क्योंकि पिछले महीने में सामान्य से ज्यादा तापमान के कारण खेत सूख गए थे. खेतों से नमी गायब होने के फसलों को पानी की सख्त जरूरत थी.

प्रदर्शन के बाद किसानों को मिलने लगा पानी

बता दें कि पंजाब से पूरा पानी नहीं मिलने के कारण दो मार्च को किसानों ने पंजाब-राजस्थान के बॉर्डर पर स्थित साधुवाली के पास लिंक चैनल पुल पर हाईवे जाम कर दिया था. इसके बाद प्रशासन ने किसानों के साथ बातचीत की. इस वार्ता में पंजाब में आरडी कैनाल से बीकानेर कैनाल में मार्च महीने के लिए 2500 क्यूसेक पानी देने का आश्वासन दिया. साथ ही राजस्थान की सीमा में खखां हैड पर दो हजार क्यूसेक पानी देने का समझौता हुआ. 

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इसी समझौते के अनुसार खखां हैड पर पानी की आवक बढ़ा दी गई है. जिसमें तीन मार्च से पानी का प्रवाह बढ़ा. चार मार्च को यह बढ़कर 1946 क्यूसेक हो गया. इसके बाद पांच मार्च शाम तक खखां हैड पर ही पानी की आवक 2046 क्यूसेक हो गई. इस पानी को गंगनहर की छोटी नहरों (वितरिकाओं) में छोड़ा जा रहा है.अगर पूरे मार्च महीने में पंजाब से इसी तरह दो हजार क्यूसेक पानी मिलेगा तो क्षेत्र के किसानों को दो-दो बार सिंचाई के लिए पानी मिलता रहेगा. 

फसलों के लिए बेहद जरूरी है इस वक्त सिंचाई

रबी सीजन की फसलें अब पकाव की ओर हैं, लेकिन फरवरी महीने में तेज गर्मी के कारण गेहूं में फोर्च मैच्योरिटी से नुकसान होने लगा. बढ़े तापमान से खेतों की नमी सूख गई. इसलिए इस वक्त गेहूं और चने को पानी की सख्त जरूरत थी. गंगनहर को पंजाब से पानी मिलने से यह कमी दूर हो जाएगी. साथ ही फसल पकने तक गेहूं में दो बार और सिंचाई की जा सकेगी. 

कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली में कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह कहते हैं क‍ि तेज गर्मी ने फसलों खासकर गेहूं में फोर्स मैच्युरिटी पैदा कर दी है. इससे बचाव के लिए खेतों में नमी की आवश्यकता है.

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छह और सात मार्च को मौसम में हो सकता है बदलाव

मौसम विभाग ने श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ में मौसम में बदलाव के संकेत दिए हैं. सोमवार और मंगलवार को इस क्षेत्र में बारिश की संभावना मौसम विभाग ने जताई है. अगर मौसम बदलता है तो हवा में नमी पैदा होगी और तापमान गिरेगा. इसीलिए यह मौसम गेहूं, चने की फसल के लिए फायदेमंद होगा. हालांकि अगर तेज हवाएं चलीं तो फसलों के गिरने की भी संभावनाएं हैं क्योंकि गेहूं में बालें आ चुकी हैं, इसीलिए वजन से क्रॉप गिर सकती हैं. 

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