राजस्थान के झालावाड़ जिले में पिछले दो दिन से हुई ओलावृष्टी और बेमौसम बरसात से हजारों हेक्टेयर खेत में लगी फसलें नष्ट हो गई हैं. बारिश और ओलावृष्टि से अफीम, कलौंजी, गेहूं, धनिया, सरसों और मसूर समेत सभी फसलों को भयकर नुकसान हुआ है. इसके अलावा और भी कई जिलों में फसलों को नुकसान बताया जा रहा है.
झालावाड़ जिले के पिड़ावा तहसील, डग तहसील और खानपुर तहसील में ओलावृष्टि और भारी बरसात हुई है. जिले के पिड़ावा तहसील में फसलों को हुए नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर गुरुवार को किसानों ने भारतीय किसान संघ के बैनर तले पिड़ावा एसडीओ कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया.
मुआवजे की मांग में किसानों ने हाथों में खराब फसल लेकर प्रदर्शन किया. इसके बाद एसडीएम को मेमोरेंडम देकर सरकार से तुरंत मुआवजा देने की मांग की गई. प्रदर्शन में तहसील पिड़ावा के अलग-अलग गांवों के किसान शामिल थे जिनकी ओलावृष्टि और बरसात से धनिया समेत गेहूं, मसूर और अफीम की फसलों का नुकसान हुआ है.
जालोर और बाड़मेर में पिछले दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि से लाखों किसानों के अरबों रुपये का नुकसान हुआ है. अब किसान सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि केंद्र और राज्य की सरकार उनको उचित मुहावजा दिलाए ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके. देशभर में जीरे, इसबगोल और सरसों के सर्वाधिक उत्पादन वाला जिला जालोर में हुई अतिवृष्टि से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.
जालोर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह ने बताया कि जालोर में सबसे ज्यादा इसबगोल की फसल में खराबा हुआ है. इसबगोल का बीज ओले गिरने से जमीन पर बिखर गया है. पूरे जिले से अब तक आई रिपोर्ट के आधार पर इसबगोल में 80 प्रतिशत तक खराबा हुआ है. जीरा, सरसों, अरंडी, तारामीरा, गेहूं समेत अन्य फसलों में 30-30 प्रतिशत खराबा हुआ है.
इसबगोल की खेती में जालोर का बड़ा नाम है. यहां प्रति हेक्टेयर पांच क्विंटल पैदावार निकलती है. बारिश-ओलावृष्टि से 80 प्रतिशत खराबा हो चुका है. यहां अनुमानित 1.78 लाख क्विंटल इसबगोल की पैदावार निकलती है और 80 प्रतिशत खराबा के अनुसार 1.42 लाख क्विंटल फसल खराब हो गई है. अभी इसबगोल 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर है. इस हिसाब से 2.13 अरब का नुकसान हुआ है.
जालोर में इसबगोल की खेती करने वाले कई किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज लेकर इस बार खेती की है. कुछ किसानों का कहना है कि पत्नी के जेवर गिरवी रखकर उन्होंने इसबगोल की खेती की है. ऐसे में बारिश और ओलावृष्टि से फसल खराब होने के बाद उनके सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इन सभी किसानों ने सरकार से राहत की मांग की है.
बारां में बुधवार को कई इलाकों में भारी बारिश हुई. इससे फसलों को बहुत नुकसान हुआ है. बारां शहर में भी आधा घंटा बारिश हुई. यहां के कई गांवों में बारिश और तेज आंधी के साथ बारिश से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. बुधवार को जिले के कई क्षेत्रों में दोपहर बाद से बारिश का दौर शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक जारी रहा.
जिन क्षेत्रों में ओलावृष्टि हुई वहां गेहूं, धनिया, कलौंजी, मसूर, सरसों, अफीम की फसलों में 70-75 फीसद तक नुकसान बताया जा रहा है. कई गांवों में जोरदार ओलावृष्टि से फसलें जमींदोज हो गईं. वहीं कई जगह बारिश से धनिया और अन्य फसलों में 50 फीसद नुकसान बताया जा रहा है.
जिले भर में हुई तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं, चना और धनिया की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इन दिनों सरसों, धनिया की कटाई चल रही है. कहीं-कहीं गेहूं की कटाई भी शुरू हो गई है. बारिश से खेतों में कटी पड़ी धनिया की फसल को काफी नुकसान हुआ है. पानी से धनिया काला पड़ जाएगा और इससे भाव कम मिलेगा.
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